‘‘संदेह के लाभ में दहेज हत्या के आरोपी बरी”- सिंघानिया लॉ कॉलेज में मूट कोर्ट का आयोजन
दिनांक 14 मई, 2022 को सेशन न्यायालय ने राज्य बनाम नवनीत व अन्य के आपराधिक मामले में साक्ष्य के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए दहेज हत्या के आरोपियों को आरोप मुक्त किया।
सिंघानिया लॉ कॉलेज में काल्पनिक तथ्यों पर आधारित दहेज मृत्यु के आपराधिक प्रकरण पर मूट कोर्ट का प्रायोगिक परीक्षण का आयोजन किया गया। प्रकरण में तथ्य इस प्रकार थे कि दिनांक 31.12.2021 को करीब रात 11.30 बजे मृतका किचन में जाती है और किचन की बत्ती जलाती है और जोरदार धमाका होता है तथा गैस के रिसाव के कारण आग लग जाती है तथा ससुराल वाले बाद में जलती हुई मृतका पर पेट्रोल डाल कर जला देते है।
आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 304 बी, 120 बी, 302, 201 / 34 के तहत आरोप तय किये गये। अभियोजन पक्ष के तर्क मे कहा कि मृतका के ससुराल वाले आये दिन मृतका को दहेज के लिये परेशान करते थे तथा मारपीट भी किया करते थे । अभियोजन पक्ष ने अपने पक्ष में गवाह पेश किये । बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने तर्क में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप को संदेह से परे साबित नहीं कर सका क्योंकि इस प्रकरण में एक भी प्रत्यक्ष साक्षी मौजूद नहीं था तथा दौराने अन्वेक्षण भी कुछ भी बरामद नहीं हुआ था।
सेशन न्यायालय ने निर्णय पारित किया कि अभियोजन पक्ष मामले को संदेह के परे साबित नहीं कर सका क्योंकि मामले में कोई भी प्रत्यक्ष साक्षी नहीं था तथा मृतका के मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान भी नहीं हो सके थे। अतः सभी आरोपियों को आरोप मुक्त किया गया। डॉ कुमावत ने बताया कि मूट कोर्ट में सेशन न्यायाधीष की भूमिका भॅवर सिंह राव, लोक अभियोजक श्योराज सिंह तथा बचाव पक्ष के अधिवक्ता भूमिका टेलर ने निभाई।
रीडर नीना शर्मा और टाईपिस्ट हेमन्त कुमार जैन, मनप्रीत सिंह, हलकारा की भूमिका रूद्र कंसारा ने अदा की। लोक अभियोजक की ओर से साक्षीगण मृतका की माता रेखा, मृतका की पडोसी सपना, रेजीडेन्ट डॉक्टर रेखा चौहान, अन्वेक्षण अधिकारी पुलिस निरीक्षक निलेश सिंह, हवलदार मनीषा एवं नरवर सिंह तथा अधिवक्ता बचाव पक्ष की ओर से साक्षीगण में अभियुक्त के चाचा महिपाल एवं अभियुक्त के मौसा पार्थ शर्मा ने अपनी भूमिका अदा की।
संस्था के प्राचार्य डॉ भूपेन्द्र कुमावत ने मूट कोर्ट का महत्व बताते हुए अभिव्यक्त किया कि सभी विधि विद्यार्थियों के लिए मूट कोर्ट में भाग लेना अनिवार्य है तथा मूट कोर्ट से विधि विद्यार्थियों में न्यायालय की प्रक्रिया को प्रत्यक्ष रूप से सीखने का मौका मिलता है जिससे प्रैक्टिस में बहुत लाभ मिलता है।
इस अवसर पर संस्था के संकाय सदस्य डॉ मनीष श्रीमाली, डॉ मीतु राही, डॉ एस. एस. राजपुरोहित, डॉ ओ. पी. बारबार, डॉ धीरज कल्ला, पी. के. टॉक और गैर शैक्षणिक सदस्य गुंजन जैन, डिम्पल आमेटा, मोहसीन शेख, पुष्कर डांगी और पुस्तकालय अध्यक्षा भावना एवं अधिवक्तागणों में प्रवीण खण्डेलवाल, राम कृपा शर्मा, महेश बागड़ी, ख्याली सिंह उपस्थित थे।
संस्थान के निदेषक डॉ अशोक आचार्य ने मूट कोर्ट के सफल आयोजन पर प्रसन्नता जताईं।