3 वर्ष की आयु से कर रही है ट्रेकिंग, मिलये उदयपुर की इस जाँबाज़ पर्वतारोही से

 3 वर्ष की आयु से कर रही है ट्रेकिंग, मिलये उदयपुर की इस जाँबाज़ पर्वतारोही से

जहाँ आज के बच्चे मोबाइल पर गेम और विडियो देखने की लत से जूझ रहे है वहीँ 12 साल की ईरम सुदूर बर्फीले पहाड़ो को नाप रही है. जी हाँ ये कहानी है ईरम जयपुरी की जिसने 3 वर्ष की आयु से ट्रेकिंग शुरू कर दी थी.

उदयपुर के रॉकवुड्स स्कूल की कक्षा 8 में पढने वाली ईरम जयपुरी का ट्रेकिंग को लेकर जुनून अब नेक्स्ट लेवल पर जा चुका है. मात्र 3 वर्ष की आयु में ईरम ने मुंबई के करनाला नेशनल पार्क में ट्रेकिंग की थी, उसके बाद लगातार 6 बार महाराष्ट्र के सहयाद्री के पहाड़ो पर अपनी हिम्मत के झंडे गाड़ चुकी है.

अभी कुछ ही दिनों पहले उत्तराखण्ड के हरकी दून और उसके करीब मनिन्दाताल पर 13200 फीट की ट्रेकिंग कर लौटी है. जब ईरम 9 वर्ष की थी तब उसने सर्दियों में केदारकंठा की 12400 फिट ऊँची चढ़ाई की थी जो अपने आप में रिकॉर्ड है.

अपने पिता इरफ़ान जयपुरी के द्वारा दिए गए प्रशिक्षण और देखरेख में ईरम ने नन्ही सी आयु में पर्वतारोहण को अपना पेशन बना दिया. इरफ़ान स्वयं पर्वतारोही है और अब तक 80 से ज्यादा ट्रेक पर ट्रेकिंग कर चुके है, खुद की ट्रेवल कंपनी के साथ साथ वह अपने पर्वातारोहण के शौक को अपनी बेटी के साथ पूरा कर रहे है.  

वहीँ ईरम की माता शगुफ्ता जयपुरी एक एजुकेटर है वह पिछले 10 वर्षो से शिक्षा के शेत्र में सक्रीय है. साथ ही स्वयं का एक बहुत कामयाब फ़ूड चेनल भी चलाती है.

ईरम बताती है कि ट्रेकिंग उनका पेशन है साथ ही उन्हें राइटिंग और पेंटिंग का भी शौक है पर ट्रेकिंग से बढ़ कर कोई शौक नहीं. ईरम का सपना है कि वह माउंट एवेरेस्ट की चढ़ाई करें.

अपनी हाल ही की हरकी दून ट्रेक के बारे में बताते हुए ईरम ने कहा कि हरकीदून ट्रेक के अलावा मनिन्दाताल ट्रेक जो की समुद्रस्तर से 13200 फीट की उंचाई पर है जहाँ ऑक्सीजन लेवल 50% तक गिर जाता है, वहां ईरम ने सिर्फ ट्रेक पोल के सहारे ट्रेकिंग की वह भी बिना किसी की सहयता के और 15 किलो का सामन अपने कंधो पर उठा के, यह कठिन पर शानदार अनुभव था.  

ट्रेकिंग के दौरान होने वाली परेशानियों को बताते हुए ईरम कहती है “सबसे ज्यादा तकलीफ ठण्ड से होती है और इस समस्या को हल कारने का एक ही उपाय है – मानसिक शक्ति.” हम ट्रेकिंग से पहले यह भी सुनिश्चित करते है कि हमारे कपडे और सभी उपकरण बिलकुल सही हो हम पूरी तरह हाइड्रेटेड हो.  

अपने करियर के बारे में बताते हुए ईरम कहती है, “वैसे तो मैं एक इंटीरियर आर्किटेक्ट बनना चाहती हूँ पर मुझे हिमालयन माउंटेनियरिंग का कोर्स भी करना है ताकि में एक माउंटेनियरिंग ग्रेजुएट बन सकूँ.”

जब पूछा कि ट्रेकिंग आपको क्या सीखाती है तो ईरम ने बताया. “कभी शिकायत न करे, जो मिला खाएं और शुक्र मनाएं, हमेशा संयम रखे क्यूंकि आने वाले चैलेंजेज़ को संयम से ही जीता जा सकता है“.

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