लफ्ज़ों की महफ़िल कार्यक्रम में कई मुद्दों हुई चर्चा
उदयपुर. राजस्थानी साहित्य की धरोहर से लेकर जीवन की विविधताओं तक, “लफ्ज़ों की महफ़िल” ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। इस अद्भुत सांगीन शाम में आधिकारिक समारोहों की ठंडक में नहीं, बल्कि भाषा की गर्माहट में सुनाई दी गई कई बातें सुनने वालों के दिलों को छू लिया।
“लफ्ज़ों की महफ़िल” के इस पहले आयोजन में शायरों और कवियों ने अपनी कला के माध्यम से जीवन की विविध पहलुओं को उजागर किया। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज, प्रेम, आदिवासी संस्कृति और मानवता के विभिन्न मुद्दों पर विचार किए।
शाद उदयपुरी, मुकेश माधवानी, प्रदीप कालरा, असद ख़ान, जगवीर सिंह, शम्भू कलासुआ, मनीष सेवक, शाहिद हुसैन ‘सबा’, रुशल शर्मा, संजय व्यास, डॉ. रजनीश कुमावत, रोशन लाल कुमावत, ब्रह्मानंद, विपिन तक, शुभम जैन और नितिन मौलिक ने इस दिलचस्प सांगीन वातावरण में अपने कला का प्रस्तुतीकरण किया।
इस समाचार के माध्यम से, इन शायरों और कवियों का योगदान ने लोगों को एक-दूसरे के साथ संवाद में जोड़ा और साहित्य की दुनिया में उनका नया परिचय किया। यह साहित्यिक समारोह ने राजस्थानी भाषा और साहित्य के प्रति लोगों की रुचि को बढ़ावा दिया और उन्हें एक संघ में आने के लिए प्रेरित किया।
इसी दौरान प्रेम, मोहब्बत, जीवन की सच्चाई और समाजिक मुद्दों पर भी ग़ज़लों और गीतों के माध्यम से विचारों का आदान-प्रदान दिया गया। इन काव्यात्मक रचनाओं ने जीवन की विभिन्न पहलुओं को छूने का प्रयास किया और व्यक्तिगत अनुभवों को साझा किया।