भारत जल सप्ताह आयोजित
विश्व को जल समृद्ध बनाने के लिए मौजूदा जल विमर्श में जल के सामाजिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, पारिस्थितिकीय पहलुओं का समावेश जरूरी है। संवाद,सदुपयोग,सहयोग, समन्वय, स्वावलंबन, समावेशिता जैसे सकारात्मक माध्यमों से जल समृद्ध विश्व बनेगा तथा श्रेष्ठ पारिस्थितिकीय संतुलन व सर्व मानव कल्याण सुनिश्चित होगा।
यह विचार विद्या भवन पॉलिटेक्निक के प्राचार्य, जल चिंतक डॉ अनिल मेहता ने जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित आठवें भारत जल सप्ताह में व्यक्त किए। जल सप्ताह का विषय सहयोग व साझेदारी से समावेशी जल विकास व प्रबंधन था।
पर्यावरण संरक्षण गतिविधि, इंडियन सोशल रिपॉन्सिबिलिटी नेटवर्क, दीनदयाल रिसर्च इंस्टीट्यूट, जलाधिकार फाउंडेशन के साझे में भारत मंडपम, दिल्ली में “जल समृद्ध विश्व, पारिस्थितिकीय संतुलन तथा मानव कल्याण का हरित दर्शन व समन्वित कार्य ” विषयक विशेष सत्र में मेहता ने कहा कि भारत में जल प्रबंधन, स्रोत विकास, और संरक्षण की एक समृद्ध विरासत रही है। इसका आधार हमारा आध्यात्म व विज्ञान से परिपूर्ण जल दृष्टिकोण है जहां जल को एक संसाधन नहीं वरन जीवन साधन, पवित्र ईश्वरीय तत्व माना जाता है।
मेहता ने कहा कि भारत में व्यक्ति की पहचान जिस नदी क्षेत्र , या जिस कुआं , बावड़ी, तालाब क्षेत्र में वह रहता था, उससे होती थी। हमने इसे विस्मृत कर दिया और इसी कारण समाज का जल स्रोतों से संबंध विच्छेद हो गया। मेहता ने स्वयं का परिचय बेड़च नदी तीर निवासी के रूप में देते हुए कहा कि प्रेम, परमार्थ, परिष्कार को भावना तथा जल स्रोतों के प्रति श्रद्धा भाव की स्थापना से से पूरे विश्व को जल समृद्ध बनाया जा सकता है । उन्होंने कहा कि जल एक उत्पाद नही है तथा जल स्रोत केवल सरंचना मात्र नही है। मेहता ने कहा कि जल व जल स्रोतों को हाइड्रोलॉजी, हाइड्रोलिक, हाइड्रो मेटरिलिटी तक ही सीमित नहीं कर, हाइड्रोकल्चरीटी, हाइड्रोस्प्रिचुअलिटी, हाइड्रोमॉरलिटी, हाइड्रोइकॉसिटी, हाइड्रोसीरिनिटी,हाइड्रोसोशलिटी,हाइड्रोसीरिनिटी जैसे विविध पक्षों तक विस्तारित करना चाहिए । मेहता ने हॉलिस्टिक एक्शन फॉर रीवाइटलाइजेशन ऑफ इंडिजिनस ट्रेडिशन (हरित) की विस्तृत व्याख्या की।
सत्र की अध्यक्षता परमार्थ निकेतन प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती ने की। संस्कृति फाउंडेशन के निदेशक डॉ अमरनाथ रेड्डी, कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के प्रो कर्स्टन, पत्रकार शिप्रा माथुर, नर्मदा समग्र के कार्तिक सप्रे,अपना संस्थान के विनोद मेलाना, डी आर आई के अतुल जैन ने जल संरक्षण की पारंपरिक विधाओं, सामुदायिक सहभागिता, समाज की वैज्ञानिक समझ इत्यादि पर विचार रखे। गायत्री परिवार प्रमुख डॉ चिन्मय पंड्या, नदी सुधार पर विदेश कार्य कर रहे संत सीचेवाल विशिष्ठ अतिथि थे।संयोजन आई एस आर एन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संतोष गुप्ता ने किया। जल सप्ताह के एक अन्य सत्र में विद्या भवन डानीडा शोध योजना की डॉ योगिता दशोरा ने आयड नदी बेसिन पर प्रस्तुतीकरण किया।
इससे पूर्व जल सप्ताह का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति द्रुपदु मुर्मू ने जल सर्वोदय पर जोर दिया। डेनमार्क, ऑस्ट्रेलिया सहित यूरोपीय यूनियन के कई देशों के प्रतिनिधि , अधिकारी, वैज्ञानिक,उद्योगपति इस कार्यक्रम के विविध सत्रों में उपस्थित रहे।