ऊंची उड़ान: entrepreneurship के लिए पतंगबाजी से सबक

 ऊंची उड़ान: entrepreneurship के लिए पतंगबाजी से सबक

लेखक: Da Sachin

बचपन में पतंग उड़ाने की यादें अब तक ताज़ा हैं। अपनी पतंग को बहुत ऊंचाई पर जाते हुए देखने का एक अलग ही आनंद होता था। मुझे इस बात का अंदाजा नहीं था कि एक बच्चे के रूप में मैंने जो क्षमता विकसित की थीं, वे बाद में मेरी entrepreneurship  में काम आएंगी।

पतंग उड़ाने से पहले मुझे ढेर सारी तैयारी करनी पड़ती। मुझे एक अच्छी पतंग, डोरी और स्थान चुनना होता, जिसे में उदयपुर की कई गलियो में ढूँढता। इसने मुझे अपना बिज़नेस की शुरुआत की याद दिला दी। मुझे प्रोडक्ट बनाना था, मार्केट रिसर्च करना था, एक बिज़नेस स्ट्रेटेजी तैयार करनी थी, और जो कुछ उस बिज़नेस के लिए ज़रूरी था, साथ ही कुछ पैसा इकट्ठा करना था, वैसे ही जैसे पतंग उड़ाने के लिए मैं एक अच्छी पतंग, डोर चकरी सही क़ीमत पे ख़रीद सकु ।

मुझे भी पतंग उड़ाना सीखना था।जैसे इस कला में निपुण होने के लिए, मुझे बहुत प्रयास और अभ्यास करना पड़ा, उसी तरह, बिज़नेस के क्षेत्र का अध्ययन करके, अपने बिज़नेस नॉलेज को विकसित करके और अन्य सफल बिज़नेस ओनर्स से परामर्श करके एक सफल ब्रांड लॉन्च करने के लिए आवश्यक कौशल में महारत हासिल करनी थी।

महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करना एक और सबक है जो मैंने पतंग उड़ाने से सीखा। मुझे अपने लिए बड़े गोल्स निर्धारित करने थे, ठीक उसी तरह जैसे मेरी पतंग कितनी ऊंची उड़ सकती है। मैंने यह भी जाना कि अपने उपलब्ध रिसोर्सेज़ को समझना कितना महत्वपूर्ण है। पतंग उड़ाने के लिए मुझे हवा की दिशा और गति को समझना पड़ता था। उसी तरह, व्यापार मालिकों को उन परिस्थितियों से अवगत होना चाहिए जो उनके बाजार और उद्योग को आकार देते हैं।

पतंग उड़ाने के लिए सटीक समय की आवश्यकता होती है। सफल होने के लिए, मुझे इसे उचित समय पर छोड़ना और उचित अंतराल पर पतंग को नियंत्रित करना था। ठीक वैसे ही जैसे व्यापार में सफल होने के लिए, मुझे अपने कार्यों और निर्णयों को रणनीतिक रूप से समयबद्ध करना था।

साथ ही आवश्यक था धैर्य। पतंग उड़ाने के लिए धैर्य की आवश्यकता हो सकती है क्योंकि हवा कुछ समय के लिए अनुकूल नहीं हो सकती है। उद्यमिता के उतार-चढ़ाव को सहने के लिए धैर्य एक गुण है।

अंत में, मैं समझ गया कि यात्रा उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी अंतिम मंजिल। जिस तरह पतंग उड़ाना अपने आप में रोमांचक होता है, उसी तरह एक बिज़नेस बनना कुछ नया और अलग लेकर आने का अनुभव है। मुझे दूसरी पतंगों के लिए तैयार रहने की जरूरत थी, जो मेरी डोर काटने की कोशिश कर सकती हैं। मुझे अपनी बिज़नेस आईडिया, उसे करने का तरीक़ा और उस से जुड़े हर छोटे बड़े अंश की रक्षा करनी थी, एक शक्तिशाली ब्रांड स्थापित करना था, दुनिया से आगे रहना था, अपनी आय के स्रोतों में स्थापित करने के साथ वो हमेशा बने रहे उसपर काम करना था, एक शक्तिशाली टीम, नेटवर्क को बनाना था, और इन सब का ध्यान रखते हुए इन्हें साथ लेकर चलना था।

एक बच्चे के रूप में मैंने अपनी पतंग उड़ाने से जो सबक सीखे, वे मेरे लिए काफी मददगार रहे हैं क्योंकि इस से मैंने अपनी entrepreneurship  में एक मुक़ाम हांसिल किया। ये एक्सपीरियंस मेरी यात्रा के दौरान मेरा फोकस बनाए रखने में हर दिन हर वक़्त सहायक रहा है।
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दा सचिन शर्मा एंटरप्रेन्योर है, लेखक और कवि है।

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