बागोर की हवेली: ‘‘धरोहर आर्ट कैम्प’’ का समापन
रंग और कूंची से खिला बागोर की हवेली के गोखड़े, झरोखे कंगूरे
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से बागोर की हवेली में आयोजित ‘‘धरोहर आर्ट कैम्प’’ का समापन शुक्रवार को हुआ जिसमें उदयपुर के चितेरों ने 19 चित्रकारों द्वारा रचित चित्रों का सामूहिक प्रदर्शन किया गया. इस अवसर पर केन्द्र निदेशक किरण सोनी गुप्ता ने बागोर की हवेली पर पैन स्कैच पर पुस्तक प्रकाशन की इच्छा जतलाते हुए कहा कि बागोर की हवेली के स्थापत्य और शिल्प वैभव को उदयपुर के कलाकारों बेहतर तरीके से कैनवास पर अभिव्यक्त कर सकते हैं।
इस अवसर पर कलाकार शंकर शर्मा, मंदीप शर्मा, मैडम फी तथा शरद भारद्वाज, चिराग कुमावत ने कैम्प के अनुभव अभिव्यक्त किये. कलाकारों द्वारा बनाये चित्रों में बागोर की हवेली का प्रवेश द्वार, कूआँ चैक में लगा कलात्मक फव्वारा, हवेली के भीतरी हिस्से की बारादरी, कुगूरे, गोखड़े, पिछोला झील के किनारे से बागोर की हवेली के दृश्यबिम्ब, हेवली की प्राचीर बनी छतरियाँ, हवेली परिसर में स्थित कूंए का विहंगम चित्र आदि में रंगों की नैसर्गिकता और दृश्य बिम्ब स्पष्ट और मनोरम बन सके.
पाँच दिवसीय कैम्प में डाॅ. मयंक शर्मा, डाॅ शंकर शर्मा, जयेश सिकलीगर, डाॅ. संदीप कुमार मेघवाल, मेडम फी, डाॅ. निर्मल यादव, शरद भारद्वाज, मनदीप शर्मा, दुर्षित भास्कर, अमित सोलंकी, संदीप पालीवाल, संत कुमार, शुभिका कश्यप, प्रज्ञा, पुष्कर लोहार, राजेश कुमार, चिराग कुमावत दुर्गेश अटल, तनुष्का शर्मा ने भाग लिया.