नगर निगम, युआईटी ने सडक किनारे लगे पेड़ो के विकास में की रुकावट – नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल
शहर के पर्यावरण प्रेमियों के लिए एक अच्छी खबर, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की भोपाल बेंच ने उदयपुर के नगर विकास प्रन्यास और नगर निगम पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए आदेश दिए है कि शहर के सड़क किनारे पेड़ पौधों की जड़ो से सीमेंट को तुरंत हटवाएं.
सडक निर्माण, टाइलिंग आदि कार्य के दौरान सड़क किनारे पेड़ पौधों के लिए जगह नहीं छोड़ने से उनके विकास में रुकावट आती है, जो की अर्बन ग्रीनिंग गाइड्लायन की भी अवमानना है.
उदयपुर के पर्यावरण प्रेमी और शिक्षाविद डॉ अनिल मेहता ने इसके खिलाफ आवाज़ उठाई जिसे नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने समर्थन किया और फैसला मेहता के पक्ष में आया. कोर्ट ने माना कि पेड़ों की जड़ो पर सिमेंट डाल यु आई टी और नगर निगम ने नसबंदी की है जो ट्रिब्यूनल आदेश की अवमानना है.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के समक्ष यह याचिका झील संरक्षण समिति के सह सचिव डॉ अनिल मेहता ने की और से नई दिल्ली के अधिवक्ता राहुल चौधरी और उदयपुर की कानूनविद व पर्यावरण हितैषी भाग्यश्री पंचोली ने प्रस्तुति की व सुनवाई मे तथ्य प्रस्तुत किये. जिला कलेक्टर, प्रदूषण नियंत्रण मंडल तथा फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट की विशेषज्ञ कमिटी द्वारा बनाई रिपोर्ट भी ट्रिब्यूनल के समक्ष रखी गई।
कोर्ट ने आदेश दिया है कि छः महीने के अंदर उदयपुर में सब जगह पेड़ और पौधों के जड़ो से सिमेंट हटाया जाए और इसके साथ दुसरे ख़ास बिन्दुओ की भी पालना हो जैसे पेड़ के तने और प्रजाति देखते हुए 1/1 फिट की कम से कम जगह ख़ाली रखी जाए। जितना मोटा तना उतना ज़्यादा जगह ख़ाली होना चाइए, अर्बन ग्रीनिंग गाइड्लायन की पूरी पलाना हो जिसमें पड़ो की कटाई पर रोक, छंटाई के तरीक़े की पालना हो, अधिक से अधिक घाँस उगाना जैसी गाइडलाइन है. साथ ही भूजल को रिचार्जिंग की जगह देने के लिए सड़क के दोनों किनारों पर कच्ची जगह छोड़ी जाये साथ ही वाल टू वाल कोंक्रीटाईजेशन न किया जाये.
कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि ट्री एम्बुलेंस और ट्री सर्जरी यूनिट्स की स्थापना हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट करे. ट्रिब्यूनल ने फैसला देते हुए केस डिस्मिस किया।