भूपाल नोबल्स संस्थान का शताब्दी स्थापना वर्ष महोत्सव

 भूपाल नोबल्स संस्थान का शताब्दी स्थापना वर्ष महोत्सव

उदयपुर 2 जनवरी 2022। विद्या प्रचारिणी सभा भूपाल नोबल्स संस्थान अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण कर शताब्दी महोत्सव मना रहा है. इस अवसर पर आज संस्थान का शताब्दी स्थापना महोत्सव वर्ष का भव्य शुभारंभ हुआ.

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में निरुपमा कुमारी मेवाड़ एवं महिमा कुमारी उपस्थित थे.

इस अवसर पर उद्बोधन देते एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि महाराणा भूपाल सिंह जी का शिक्षा के प्रति दूरदृष्टि का ही परिणाम है कि यह भूपाल नोबल्स संस्था 2 जनवरी, 1923 में स्थापित होकर आज अपनी स्थापना का शताब्दी महोत्सव मनाने जा रहा है। महाराणा भूपाल सिंह जी का आधुनिकीकरण के प्रति विशेष लगाव रहा था और वे सदैव नई तकनीक को सीखने का आह्वान करते रहे थे। उन्होेनंे संस्थान के अध्यक्ष एवं संरक्षक श्रीजी महाराणा महेन्द्र सिंह द्वारा प्रेषित शुभकामनाएं दीं।

उन्होंने कहा कि किसी भी संस्था के 100 वर्ष की लम्बी यात्रा को पूर्ण करना अपने आप में एक बहुत बडी उपलब्धि है। उन्होने कहा कि यह प्रगति और उन्नति बिना किसी स्वार्थ के किये गये सामुहिक प्रयास का परिणाम है।

इस अवसर पर अतिथियों द्वारा शताब्दी महोत्सव समारोह के वार्षिक आयोजन का केलेण्डर विमोचित किया गया। 

पूर्व प्राचार्य भूपाल नोबल्स पी.जी. महाविद्यालय डॉ युवराज सिंह झाला  ने विद्या प्रचारिणी सभा भूपाल नोबल्स संस्थान के 100 वर्षों की गौरवगाथा का संक्षिप्त वृतांत प्रस्तुत किया।

उन्होने इस संस्थान के निर्माण की ऐतिहासिक प्रक्रिया को शब्दों के माध्यम से जीवन्त किया। उन्होने कहा कि “महाराणा भूपाल सिंह जी ने मई 1947 में ही प्रताप विश्वविद्यालय की कल्पना की थी और उसके लिए बजट की घोषणा भी की गयी थी और हमारे लिए गौरव का विषय है कि विश्वविद्यालय की वह परिकल्पना सन् 2016 में भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय के रूप में साकार हुई है”।

जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति कर्नल प्रो. शिव सिंह सारंगदेवोत ने बताया कि किस प्रकार विकट परिस्थितियों में शिक्षा के प्रति समर्पित तत्कालीन महाराज कुमार भूपाल सिंह जी ने महाराणा फतह सिहं जी से शिक्षण संस्थान खोलने की स्वीकृति प्राप्त कर उसे मूर्त रूप प्रदान करने में रुचि ली। राव बहादुर ठा. राजसिंह बेदला ने रुचि लेकर इस संस्थान को स्थापित करने में योगदान दिया और सन् 1923 में प्रथम दो छात्र मोतीसिंह जी थाणा (ताल) व शिव सिंह परसाद थे।

दो छात्रों से चार छात्र और चार से से छत्तीस और वर्तमान में तेरह हजार विद्यार्थी यहां से शिक्षा प्राप्त कर प्रति वर्ष देश और विदेश में विभिन्न क्षेत्रों रक्षा, सेवा, राजनीति, प्रशासन न्याय, शिक्षाविद्, वैज्ञानिक क्षेत्रों में अपनी अमूल्य सेवाएं दे रहे हैं। संस्थान के निर्माण में सहयोग करने वाले सभी निर्माताओं कार्यकताओं का स्मरण किया और उन्हें नमन किया ।

इससे पूर्व संस्थान सचिव डाॅ. महेन्द्र सिंह राठौड़ ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह संस्थान के लिए गौरव का विषय है कि यह संस्थान 100 वर्ष की अनवरत यात्रा करता हुआ आज अपने प्रगतिशील रूप में क्रियाशील है। वर्तमान में संस्थान में चैदह प्रवृत्तियां संचालित हो रही हैं और इसका कन्या शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान रहा है।

संस्थान के कार्यवाहक अध्यक्ष प्रदीप सिंह पुरावत सिंगोली ने मेवाड़ी भाषा में अपना उद्बोधन दिया. भूपाल नोबल्स संस्थान के उपाध्यक्ष श्रीमान् भगवत सिंह जी नेतावल ने प्रसन्नता व्यक्त की कि यहां के कर्तव्यनिष्ठ कार्यकर्ताओं का ही परिणाम है कि यह संस्था निरंतर प्रगति पथ पर अग्रसर है ।

शताब्दी स्थापना वर्ष महोत्सव समारेाह में विद्या प्रचारिणी सभा के सदस्य, आॅल्ड बाॅयज ऐसोसिएशन के कार्यकारिणी सदस्य, सदस्य भूतपूर्व छात्र, विभिन्न प्रवृत्तियों के अधिष्ठाता, संकाय सदस्य एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

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