झील प्रेमियों ने चेताया: मूल स्वरूप में लाओ आयड नदी, नहीं तो जायेंगे न्यायालय


उदयपुर में पिछले दिनों आई भारी बारिश के चलते बरसाती पानी के प्रवाह से सुभाष नगर स्थित आयड नदी पेटे मे टाइलिंग, पार्क व नदी को संकरा कर बनाया नाला जलमग्न होगया जिससे शहरवासी आहत है एवं झील प्रेमियों द्वारा प्रशासन को सुझाव है कि सौन्दरियकरण के नाम पर आयड नदी पर हो रहे अत्याचार को रोकना चाहिए.
झील संरक्षण समिति के डॉ अनिल मेहता ने कहा कि नदी की मूल प्रकृति व मूल बहाव के विपरीत जाकर हुआ यह निर्माण नदी की सतही व भूजल व्यवस्था को नुकसान पंहुचाने वाला है। मानसून पश्चात् इसे पूरी तरह हटा कर मूल स्वरूप नही लाया गया तो न्यायालय मे अवमानना का वाद दायर किया जायेगा। मेहता ने कहा कि नदी के पेट मे सीमेंट, पत्थर भर कर हुआ यह कथित सौंदर्यीकरण राजस्थान उच्च न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन है।
झील विकास प्राधिकरण के पूर्व सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि नदी के साथ विभत्स कुठाराघात करने वालों को नदी की प्रकृति, झीलें ओवर फ्लो होने पर नदी मे होने वाले तीव्र जलवेग व जलमात्रा का शून्य ज्ञान है। पालीवाल ने कहा कि नदी पेटा पार्क व नाले को बनाने मे बड़ी धनराशि व्यर्थ हुई है।


गांधी मानव कल्याण समिति के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने कहा कि एक तरफ तो आयड़ को सदानीरा बनाने के दावे है वंही वास्तविकता मे नदी को शहरी नाला बनाने की कोशिश हो रही है। शर्मा ने कहा कि नदी का सौंदर्य उसके पेटे मे जमी गन्दगी को हटाने व बहाव क्षेत्र को अतिक्रमण व प्रदूषण से मुक्त करने पर ही प्राप्त होगा।
संवाद से पूर्व झीलप्रेमियो ने पिछोला के अमरकुण्ड पर श्रमदान कर झील किनारे पसरी गन्दगी को साफ किया मोहनसिंह चौहान, द्रुपदसिंह इत्यादि ने भाग लिया।