कमीशन के लिए मरीज को निजी अस्पताल ले जाने वाले 108-एंबुलेंस चालक के खिलाफ कार्यवाही
आपातकालीन सेवाओं हेतु जिले में संचालित 108 एंबुलेंस के चालक द्वारा रोड एक्सीडेंट में घायल मरीज के परिजनों को गुमराह कर कमीशन के फेर में निजी अस्पताल ले जाने का मामला सामने आया है।
आदिवासी मंच समिति उदयपुर की ओर से इस संबंध में जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर एंबुलेंस चालक के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की है। इस सम्बंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा तुरंत कार्यवाही करते हुए 108 एंबुलेंस संचालन कंपनी जीवी.के इएमआरआई को इस संबंध में स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के साथ-साथ संबंधित एंबुलेंस चालक को निष्कासित करने की कार्रवाई करने हेतु निर्देशित किया है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ दिनेश खराड़ी ने कहा कि 108 एंबुलेंस सेवाएं आमजन को आपात स्थिति में नजदीकी राजकीय अस्पताल में निशुल्क ले जाने हेतु संचालित की जा रही है। ऐसे में किसी एंबुलेंस कार्मिक द्वारा निजी स्वार्थ के फेर में मरीज अथवा परिजनों को गुमराह कर राजकीय अस्पताल की बजाय निजी अस्पताल पहुंचाने जैसी घटनाएं असहनीय हैं इस तरह की हरकतों को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि एंबुलेंस संचालन कंपनी जीवीके ईएमआरआई के डिविजनल मैनेजर प्रसून पंड्या से इस बारे में जवाब तलब किया गया है।
डिविजनल मैनेजर प्रसून पंड्या के अनुसार संबंधित एंबुलेंस चालक को निष्कासित करने की कार्यवाही शुरू कर दी गई है एवं अन्य सभी कार्मिको को भी इस संबंध में पाबंद कर दिया गया है ताकि भविष्य में किसी एम्बुलेंस कार्मिक द्वारा इस तरह की घटना नही दोहराई जाए।
यह था मामला
आदिवासी मंच समिति द्वारा दिए गए ज्ञापन में बताया गया है कि 7 फरवरी को लसाडिया उपखंड के गांव निपानिया निवासी भैरूलाल मीणा को रोड एक्सीडेंट में घायल हो जाने पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लसाडिया लाया गया जहां पर प्राथमिक उपचार के बाद उसे 108 एंबुलेंस द्वारा आरएनटी मेडिकल कॉलेज उदयपुर हेतु रेफर किया गया।
परंतु रास्ते में एंबुलेंस चालक द्वारा मरीज के परिजनों को गुमराह कर निजी अस्पताल में अच्छे इलाज एवं सरकारी योजनाओं में लाभ का झांसा देकर आरएनटी मेडिकल कॉलेज में भर्ती में करवाने की बजाय सनराइज अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया जहां मरीज को इलाज हेतु लाखों रुपए खर्च करने पड़े।
परिजनों का आरोप है कि एंबुलेंस चालक ने चंद कमीशन के फेर में उन्हें गुमराह कर लाखों रुपए के आर्थिक बोझ तले दबा दिया। उन्होंने प्रशासन से गुहार लगाई है कि इलाज के दौरान अस्पताल में खर्च हुए रुपयों की भरपाई एंबुलेंस चालक से करवाई जाए।