तीन दिवसीय मल्हार का समापन

 तीन दिवसीय मल्हार का समापन

उदयपुर, 8 सितम्बर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित तीन दिवसीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य उत्सव ‘मल्हार’ के आखिरी दिन कविता द्विबेदी व उनके साथियों ने आॅडीसी नृत्य के माध्यम से श्रावण में की जाने वाली शिव उपासना तथा कोणार्क के मंदिर की परंपराओं को मोहक अंदाज में दर्शाया।

गुरूवार शाम शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में आयोजित मल्हार की समापन सांझ प्रसिद्ध आॅडीसी नृत्य गुरू हरेकृष्ण बेहरा की पुत्री और शिष्या कविता द्विबेदी व उनकी सहनेत्रियों के कथक से हुई जो देव आराधना और उपासना पर केन्द्रित रही।

आॅडीसी की इस लुभावनी सांझ की शुरूआत मंगलाचारण ‘ऊँ नमः शिवाय’ से हुई जिसमें भगवान शिव की आराधना व उनकी अद्भुत शक्तियों, सौन्दर्य तथा पंचतत्व के महात्म्य को मोहक अंदाज में दर्शाया गया। सुरेश कुमार सेठ द्वारा रचित तथा राग जैत ताल चम्पा में निबद्ध इस रचना में श्रावण मास में शिवोपासना से मानव कल्याण की बात कही गई है। इसके बाद राग वज्र कांति में गुरू रराम हरिदास की रचना से शुद्ध आॅडीसी की प्रस्तुति हुई जिसमें कोणार्क के मंदिरों में मूर्तियों के समक्ष आॅडीसी में नजर आने वाली भंगिमाएँ दर्शकों देखने को मिली।

इसके बाद आॅडीसी शैली में मीरा भजन ‘झुक आई रे बदरिया सावन की सावन मन भावन की’ की प्रस्तुति में अभिनय पक्ष का प्रदर्शन जहां सशक्त बन पड़ा वहीं इसमें श्रावण मास में मीरा बाई का भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अगाध प्रेम और भक्ति को सुंदर ढंग से प्रदर्शित किया गया। कार्यक्रम में ‘दशावतार’ की प्रस्तुति में भगवान विष्णु के दस अवतारों के रसों को दर्शाया गया इनमें मत्स्य, कश्यप, सूकर, वामन, क्षत्रिय, राम, बलराम, नरसिंह आदि उल्लेखनीय हैं। इन नृत्य प्रस्तुतियों में कविता द्विबेदी के साथ नृत्यांगना अंशुआ चैधरी, प्राप्ति गुप्ता, अर्पिता देबश्री तथ्रर स्नेहली ने तथा संगीत पक्ष में मर्दल पर प्रदीप कुमार महाराना, गायन पर सुरेश कुमार सेठी, वाॅयलिन-गोपी नाथ स्वेन तथा बांसुरी पर धीरज पाण्डेय ने संगत की।

इस अवसर पर एसडीएम सलोनी खेमका तथा जीएसटी कमिश्नर सुरेश चैधरी उपस्थित थे। केन्द्र निदेशक किरण सोनी गुप्ता ने कविता द्विबेदी को पिछवाई कला पर प्रकाशित पोर्ट फोलियो भेंट किया।

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