सावन में हुआ शब्दाभिषेक, गीतकार पालीवाली की कविताओं ने बांधा

 सावन में हुआ शब्दाभिषेक, गीतकार पालीवाली की कविताओं ने बांधा

उदयपुर. अधिक श्रावण मास के मौके पर शुक्रवार रात्रि देवाधिदेव महादेव के अनुरंजन के लिए अनोखा शब्दाभिषेक किया गया। मौका था टीम एन एफर्ट के तत्वावधान में सूचना केन्द्र सभागार में जाने-माने गीतकार एवं शायर कपिल पालीवाल की एकल प्रस्तुति ‘शब्दाभिषेक’ का आयोजन। कार्यक्रम में पालीवाल ने अपनी कविताओं, शायरियों, गीतों से देर रात तक मौजूद श्रोताओं को बांधे रखा।  

पालीवाल ने भगवान शिव की आराधना, प्रेम, विरह, माँ, मानवीय संवेदनाओं के साथ अपनी नई विधा ‘सनातनी‘ में काव्य प्रस्तुतियां दी तो मौजूद श्रोताओं ने सराहना की। ‘सनातनी‘ में पालीवाल ने प्रेम से अध्यात्म तक के सफर को शायरियों के माध्यम से प्रस्तुत किया। पालीवाल की आशुतोष आराधना, प्रेम विरह के गीत, गजलों ने भी सभी का मन मोह लिया।  

शब्दाभिषेक दौरान पालीवाल ने शिवजी की तारीफ में अपनी पंक्तियां ‘‘जो था कल… है आज और… रहेगा कल..महाकाल नाम..है जिसका है प्रत्येक पल…कभी तांडव करे तो पिए कभी हलाहल..है जो सबसे कठिन और हैं सबसे सरल..हे शंभो है शंकर हे आशुतोष अटल..बस एक लोटा जल सभी कष्टों का हल…।’’ की प्रस्तुतियां दी तो पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।  

कार्यक्रम में केन्द्रीय और राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार पुरूषोत्तम पल्लव, कश्ती फाउंडेशन की श्रद्धा मुर्डिया, संयुक्त निदेशक डॉ. कमलेश शर्मा, साहित्यकार तरूण कुमार दाधीच शीत अन्य उपस्थित थे. 

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