शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में महाकाव्य कामायनी पर आधारित नाट्य मंचन 2 जुलाई को

 शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में महाकाव्य कामायनी पर आधारित नाट्य मंचन 2 जुलाई को

हिन्दी साहित्य में रूचि रखने वाले कलारसिकों के लिए यह रविवार कुछ ख़ास होगा.  2 जुलाई की शाम प्रसिद्द साहित्यकार जयशंकर प्रसाद के कालजयी महाकाव्य पर आधारित नाटक – कामायनी- का मंचन शिल्पग्राम के दर्पण प्रेक्षागृह में होगा.

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर  द्वारा आयोजित मासिक नाट्य संध्या रंगशाला के तहत इस बार मयूर नाट्य संस्था, जोधपुर का नाटक कामायनी मंचित होगा. जय शंकर प्रसाद के महाकाव्य का नाट्य रूपांतरण जोधपुर के नाटककार रमेश बोहरा ने किया है और इसका निर्देशन डाक्टर सुरेश प्रसाद रंगा ने किया है. 

डाक्टर रंगा का मानना है कि कामायनी महाकाव्य जयशंकर प्रसाद के गंभीर चिंतन का श्रेष्ठतम प्रतिफल है जो मानवता के चरम विकास को मनोवैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक पृष्ठभूमि पर प्रस्तुत करता है. यह अनुशोधित नाटक वर्तमान मन्वंतर के प्रवर्तक मनु की कथा है जिसमें निराश भयग्रस्त एवं दुखी वसुधा को शांति और सुख की आशा बंधाते हुए विश्व समरसता का सन्देश प्रसारित किया गया है.  कामायनी एक सहज प्रवाहित कृति है जो हमें आत्मिक सुख और शांति का सूत्र प्रदान करती है.

डाक्टर रंगा ने इस महाकाव्य के मूल तत्व को यथावत रखते हुए गद्य और पद्य शैली में नाटक को 90 मिनट में रचा है जिसमें अलग अलग रसों का समावेश है. बारह कलाकारों की टीम ने लौक डाउन काल में इस नाटक का पूर्वाभ्यास छह माह तक ओनलाइन  किया. इसका प्रथम प्रयोग जोधपुर विश्वविद्दालय के हिन्दी विभाग  में हुआ. बाद में टाउन हाल में हुए मंचन ने काफी प्रशंसा पाई.

सांस्कृतिक केंद्र की निदेशक किरण सोनी गुप्ता ने बताया कि उदयपुर के कला और नाट्य रसिकों के लिए प्रत्येक माह के पहले रविवार की शाम मंचित होने वाले नाटक  देश के विभिन्न भाग से आते हैं.  2 जुलाई की शाम सात बजे होने वाली नाटक प्रस्तुति में प्रवेश निःशुल्क है.

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