राजस्थान के मूकाभिनय कलाकार विलास जानवे को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार

 राजस्थान के मूकाभिनय कलाकार विलास जानवे को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार

उदयपुर 26 नवंबर। संगीत नाटक अकादमी द्वारा वर्ष 2019, 2020 और 2021 के अकादमी पुरस्कारों की घोषणा कर दी गयी है।  सचिव अनीश पी राजन के अनुसार देश के 128 प्रदर्शन कलाकारों को अकादमी पुरस्कार के लिए चुना गया है जिसमें मूकाभिनय के क्षेत्र में उदयपुर के वरिष्ठ रंगकर्मी विलास जानवे को वर्ष 2021 के लिए चुना गया है। 68 वर्षीय विलास जानवे पांच दशकों से मूकाभिनय से जुड़े हैं। मूकाभिनय में देश का पांचवां प्रतिष्टित पुरस्कार  पाने से  विलास जानवे ने राजस्थान और शेष भारतीय राज्यों का गौरव का बढ़ाया है।

विलास जानवे की उपलब्धियां

विलास जानवे को संस्कृति मंत्रालय से मूकाभिनय के क्षेत्र में 2001 में सीनियर फेलोशिप मिल चुकी है  जानवे ने 1998 से शुरू राष्ट्रीय मूकाभिनय उत्सवों में (दिल्ली, कोलकाता, शांति निकेतन. दीमापुर, गुवाहाटी, इम्फाल, जलपाईगुड़ी, प्रयागराज, थिरुवानान्थ्पुरम, मुम्बई, जोधपुर, जयपुर, उदयपुर और मुम्बई में पत्नी किरण जानवे के साथ अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं। गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा ,चंडीगढ़ , दिल्ली और राजस्थान की कला अकादमियों और शैक्षणिक संस्थाओं के लिए मूकाभिनय के कार्यशालाएं निर्देशित कर चुके हैं। अपने गुरु पद्मश्री निरंजन गोस्वामी को मूकाभिनय की कार्यशालाओं में सहायता करने वाले विलास जानवे ने ऐतिहासिक ,सामाजिक विषयों पर बीसियों मूकाभिनयों की संरचना की है और दूरदर्शन और देश के कई मंचों पर प्रदर्शन दे चुके हैं।

 देश के सैकड़ों शिक्षकों को मूकाभिनय में प्रशिक्षण दे चुके

विलास जानवे सीसीआरटी की कार्यशालाओं के ज़रिये देश के सेंकडों शिक्षकों को मूकाभिनय में प्रशिक्षण दे चुके हैं। उदयपुर के पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र में 28 वर्ष कार्यक्रम अधिकारी रहे जानवे ने राजस्थान के कलाकारों के अलावा दिव्यांग (मूक बधिर बच्चों )और सेन्ट्रल जेल,उदयपुर में  भी मूकाभिनय का प्रशिक्षण दिया है। जानवे ने गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की नोबेल पुरस्कार रचना गीतांजली की कविताओं पर मूकाभिनय बनाकार नवाचार किये हैं।

 “गूंजे राग देश प्रेम का” मूकाभिनय का किया सृजन

आज़ादी के अमृत महोत्सव के लिए “गूंजे राग देश प्रेम का” मूकाभिनय का सृजन कर उत्सवों में प्रदर्शित किया है। सीसीआरटी क्षेत्रीय केंद्र में परामर्शक की सेवाएं देने वाले जानवे स्कूली शिक्षा में  कला के ज़रीय नवाचार देने के लिए तत्पर रहे हैं। मार्तंड फ़ौंडेशन से जुड़े विलास जानवे मूकाभिनय और नुक्कड़ नाटकों के ज़रिये बच्चों में संस्कार डालने में प्रयासरत रहते हैं। 

देश भर के मूकाभिनय से जुड़े जानवे इस पुरस्कार के लिए अपने पिता स्व. वसंत जानवे,गुरुओं भानु भारती, डॉ.शैल चोयल, मंगल सक्सेना,पद्मश्री निरंजन गोस्वामी और देश के रंगकर्मियों और संगीत नाटक अकादमी को श्रेय देते हैं।

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