प्रो. सारंगदेवोत के कुलपति के पद पर एक दशक पूर्ण
- दिन भर कार्यालय में बधाई देने वालो का लगा रहा तांता
- समर्पित साथियों की बदौलत विद्यापीठ इस मुकाम पर – प्रो. सारंगदेवोत
- 120 वाले हॉस्पिटल का लोकार्पण आगामी माह में
उदयपुर 03 जून/ जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत द्वारा कुलपति के पद पर 10 वर्ष पूर्ण कर 11वें वर्ष में प्रवेश करने पर प्रो. सारंगदेवोत का दिन भर सामाजिक, राजनीतिक, शहर के प्रबुद्ध नागरिक, धार्मिक संगठनों के अलावा विद्यापीठ के कार्यकर्ताओं द्वारा उपरणा, बुके देकर बधाई दी गई।
इससे पहले प्रो. सारंगदेवोत ने संस्थापक जनुभाई की प्रतिमा, माँ सरस्वती की मूर्ती पर पुष्पांजलि अर्पित कर आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर प्रो़. सारंगदेवोत ने कहा कि संस्था कार्यकर्ताओं की संस्था है, उच्च स्तरीय बेहतर मानव संसाधन एवं कार्यकर्ताओं की कुशलता , मेहनत एवं लगन से ही विद्यापीठ उन्नति एवं प्रगति के मार्ग पर उन्नयन है।
पं. नागर ने 84 वर्ष पूर्व 21 अगस्त, 1937 को तीन रुपये व एक किराये के भवन में पांच कार्यकर्ताओं के साथ संस्था की शुरुआत की थी जो आज 50 करोड़ के वार्षिक बजट तथा 15 हजार से अधिक विद्यार्थियों के साथ वट वृक्ष बन गया है। विद्यापीठ विभिन्न पाठ्यक्रम संचालित कर रहा है, जो कि यूजीसी से मान्यता प्राप्त हैं। विश्वविद्यालय की ओर से डबोक परिसर के मुख्य द्वार पर 15 करोड़ की लागत से 120 बेड वाला आधुनिक सुविधाओं से युक्त चिकित्सालय तैयार हो गया है जिसका आगामी माह में लोकार्पण किया जाएगा जिसका लाभ डबोक के आसपास के गांवों को मिलेगा।
उदयपुर जिले के कच्छेर गांव में जन्मे कर्नल प्रो. सारंगदेवोत ने वाणिज्य एवं कंप्यूटर विज्ञान में विद्या वाचस्पति (पीएचडी) की डिग्री प्राप्त की। कुलपति से पूर्व वे जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ के रजिस्ट्रार और कंप्यूटर विज्ञान तथा सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के निदेशक जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं।
10 वर्षों में किया विद्यापीठ का कायापलट
प्रो. सारंगदेवोत ने उच्च आदर्शों, उत्कृष्ट अकादमिक कार्य, नैतिक मूल्यों, कुशल प्रशासन क्षमता, निष्णात शोध कार्यों, कर्तव्य परायणता की भावना तथा समाज के आर्थिक रूप से विपन्न वर्ग, वंचित वर्ग, प्रौढ़ शिक्षा, कौशल-आधारित शिक्षा के उत्थान, ग्रामीण उत्थान आदि कार्यों में विपुल और अतुल्य अवदान दिया है।
अतिविशिष्ट नेतृत्व क्षमताओं के धनी प्रो. सारंगदेवोत ने कई उल्लेखनीय और सार्थक कार्यों को सफलतापूर्वक संपन्न किया है, अपने वर्तमान और पूर्व कार्यकाल में अपने ओजस्व, सामर्थ्य, सकारात्मक ऊर्जा, समर्पण और मृदुभाषिता से स्वयं को लोकप्रिय अधिनायक सिद्ध किया। उनके अथक प्रयासों से जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ ने अपनी पूर्व गरिमा पुनः हासिल किया। उनके असाधारण प्रयासों के कारण राजस्थान विद्यापीठ ने नैक द्वारा ‘ए’ ग्रेड प्राप्त कर राष्ट्र के उत्तम विश्वविद्यालयों में स्थान प्राप्त किया तथा सभी पाठ्यक्रमों को यूजीसी से मान्यता दिलवाई। इसके अतिरिक्त उनके प्रयासों से विद्यापीठ ने आईआईआरएफ व यूनिरैंक में भी उदयपुर में प्रथम व राज्य में तृतीय स्थान प्राप्त किया। हाल ही में विद्यापीठ का एक रिकॉर्ड भी स्वीकृत हुआ है।
भारत सरकार द्वारा प्रारंभ की गयी योजनाओं यथा कौशल विकास परियोजना, उन्नत भारत अभियान, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया एवं स्वच्छता अभियान के साथ भी यह विश्वविद्यालय और इसके विद्यार्थी सक्रिय रूप से जुड़े हैं। प्रो. सारंगदेवोत द्वारा कोविड महामारी के समय में किए गए कार्य भी उल्लेखनीय हैं।
इस आपदा काल में विद्यापीठ द्वारा कुशल ऑनलाइन शिक्षण, वेबिनार्स व प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं के अतिरिक्त आयुष मंत्रालय की दवाइयों का घर-घर वितरण, टीकाकरण, मास्क व राशन वितरण आदि कई कार्य करवाए गए। विश्वविद्यालय के पुस्तकालयों के डिजिटलीकरण, विद्यार्थियों की परिवादों के ऑनलाइन पंजीकरण व निदान, ऑनलाइन शिक्षा, वाई-फाई परिसर, वेबिनार, इंटरनेट आदि से भी विश्वविद्यालय को संपन्न किया।
अपनी गहन प्रतिबद्धता से 100 से अधिक संगोष्ठियाँ, 50 से अधिक वेबिनार, 2014-15 में संस्थानों और विश्वविद्यालयों श्रेणी में पेटेंट फाइलिंग में IIT के बाद दूसरा स्थान प्राप्त करना, 13 शोध पत्रिकाओं का प्रारंभ और संचालन, शोध प्रयोगशालाओं की स्थापना, मीरा, महाराणा प्रताप और राव मोहन सिंह पीठ की स्थापना, संकाय सदस्यों को प्रोत्साहन, विभिन्न वित्तीय सहायता प्रदान कर शिक्षकों की अकादमिक प्रगति, आधारिक संरचना में प्रबल उन्नति, 8 पुस्तकालयों का डिजिटलीकरण, उत्कृष्ट परीक्षा सुधार, प्रगतिशील शोध कार्य, कई कौशल-आधारित पाठ्यक्रम का प्रारम्भ एवं कुशल संचालन, राष्ट्रीय स्तर के खेलों का आयोजन आदि कार्य करवाए। अपने कार्यकाल में प्रो. सारंगदेवोत ने न केवल कई नये अकादमिक और कौशल विकास आधारित पाठ्यक्रमों को प्रारंभ किया वरन दो कन्या महाविद्यालयों की स्थापना भी की और सांध्य महाविद्यालय को पुनर्जीवित किया। नवाचार करते हुए आपने ज्योतिष, वास्तुशास्त्र व योग आधारित पाठ्यक्रमों को भी अपने विश्वविद्यालय में प्रारम्भ किया।
आपने राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति के रूप में दक्षिण राजस्थान की पिछड़ी एवम् आदिवासी बहुल्य क्षेत्र में मूल्य आधारित श्रेष्ठ शिक्षा प्रदान करने में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। प्रथम बार की मुलाक़ात से ही प्रो. सारंगदेवोत की योग्यता, विद्वता एवं विशिष्ट व्यक्तित्व से कोई भी अभिभूत हो जाता है। उन्होने लोकप्रिय, सहृदय एवम् संकाय सदस्य और विद्यार्थियों के हितेषी के रूप में राष्ट्र के प्रमुख शिक्षाविदों में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है।
कार्यकर्ताओं ने किया अभिनंदन
इस अवसर पर कुल प्रमुख बीएल गुर्जर, रजिस्ट्रार डॉ. हेमशंकर दाधीच, डॉ. हरीश शर्मा, समाजसेवी दलपत सुराणा, पर्षद गिरिश भारती, प्रो. सुमन पामेचा, प्रो. मंजु मांडोत, डॉ. सपना श्रीमाली, डॉ. भवानीपाल सिंह राठौड, डॉ. धमेन्द्र राजौरा, डॉ. बलिदान जैन, डॉ. युवराज सिंह राठौड, डॉ. रचना राठौड, डॉ. लाला राम जाट, डॉ. धीरज प्रकाश जोशी, डॉ. आशीष नन्दवाना, कृष्णकांत कुमावत, डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी, जितेन्द्र सिंह चौहान, डॉ. भारत सिंह देवडा, डॉ. मनीष श्रीमाली, डॉ. अपर्णा श्रीवास्तव, डॉ़. जयसिंह जोधा, डॉ. पारस जैन, डॉ. कुल शेखर व्यास, डॉ. बबीता रशीद, डॉ. लीली जैन, डॉ. एस बी नागर, डॉ. अमिया गोस्वामी, डॉ. हेमेन्द्र चौधरी, डॉ. गौरव गर्ग, डॉ. प्रियंका सोनी, मुर्तजा, डॉ. नजमुद्दीन, कुंजबाला शर्मा, डॉ. प्रदीप सिंह शक्तावत, डॉ. शाहिद कुरैशी, डॉ. दिलिप चौधरी, आरीफ, सहित विद्यापीठ के डीन डायरेक्टर ने माला पहना कर अभिनंदन किया।