उदयपुर के अस्पताल में लगाया 101 वर्षीय बुजुर्ग महिला को पेसमेकर

 उदयपुर के अस्पताल में लगाया 101 वर्षीय बुजुर्ग महिला को पेसमेकर
  • उम्रदराज लोगो मे पेसमेकर लगाने का देश का तीसरा रिपोर्टेड केस
  • कालर बोन से नीचे दो इंच का चीरा लगाकर की गई जटिल सर्जरी
  • तीसरे दिन ही महिला को अस्पताल से मिल गई छुट्टी

उदयपुर के पारस जेके हॉस्पिटल में 101 वर्षीय महिला को पेसमेकर लगाकर नया जीवन दिया गया, यह राजस्थान में पहला केस है जिसमे इतनी अधिक आयु में पेसमेकर लगाया गया.।

इस जटिल सर्जरी को पारस जेके हॉस्पिटल उदयपुर के डायरेक्टर एंड हेड- कार्डियोलॉजी डॉ अमित खंडेलवाल ने बेहद कुशलतापूर्वक किया।

बुजुर्ग महिला अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं और उन्हें हॉस्पिटल से डिस्चार्ज भी कर दिया गया है। महिला पेसमेकर लगने के बाद इतनी खुश थीं कि उन्होंने डॉ अमित और उनकी टीम को यशस्वी भव का आशीर्वाद दिया साथ ही सुंदर भजन सुनाकर सबको मुग्ध कर दिया। सरस्वती देवी नाम की यह महिला अपने समय की विख्यात संगीतज्ञ रही हैं।

उम्रदराज लोगो मे पेसमेकर लगाने का देश का यह तीसरा रिपोर्टेड केस है।

“रिद्म खराब होने पर लगाया गया पेसमेकर “

जेके हॉस्पिटल के डायरेक्टर एंड हेड- कार्डियोलॉजी डॉ अमित खंडेलवाल ने बताया कि महिला की सटीक उम्र का पता वर्ष 1935 में सरकार की ओर से मिले एक मेडल के आधार पर लगाया गया।

उनकी आयु उस समय 14 साल थी। जिससे उनकी उम्र की गणना की गई उसके आधार पर इस समय उनकी उम्र 101 वर्ष है।

डॉ अमित ने बताया कि ये बुजुर्ग महिला पिछले सप्ताह अस्पातल आई थीं। उनकी आंखों के आगे अंधेरा छा रहा था, घबराहट, चक्कर और उल्टी आ रही थी।

हमने उनकी हार्ट रेट चेक की जो कि 36 प्रति मिनट थी, बीपी 140/90 था। वहीं ईसीजी में हार्ट रिद्म में कंप्लीट हार्ट ब्लाक निकला था यानि उनके नेचुरल पेसमेकर ने काम करना बंद कर दिया था। उन्हें तुरंत हम कैथेलेब ले गए, जहां उन्हें पहले टेम्पररी पेसमेकर लगाया गया।

दूसरे दिन टेम्पररी पेसमेकर निकालकर परमानेंट पेसमेकर लगा दिया गया। तीसरे दिन उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। वह पूरी तरह से स्वस्थ और खुश थीं।

“पेसमेकर का कोई विकल्प नहीं “

डॉ अमित ने बताया कि बुजुर्ग महिला का 10 साल पहले यानि 91 की आयु में दायें आर्टरी की एंजियोप्लास्टी हुई थी। हमने चेक एंजियोग्राफी के जरिये पता लगाया। उनका स्टेंट अच्छे से काम कर रहा था। उनकी बाकी की दोनों नाड़ियों में कुछ ब्लाकेज था किंतु उनकी उम्र को देखते हुए हमने दवा से ही ठीक करने का निर्णय लिया। अगर उन्हें पेसमेकर नहीं लगाया जाता तो उनके जीवन पर भी संकट आ सकता था क्योंकि कम हार्ट रिद्म को सही करने के लिए अभी तक मेडिकल साइंस में लंबे समय के लिए कारगर कोई दवा नहीं बनी है। फिलहाल इतनी उम्रदराज महिला को पेसमेकर लगाने का राजस्थान का यह पहला मामला है। इससे पहले राजस्थान में 92और 95 वर्ष बुजुर्गों को पेसमेकर लगाया गया था।

किन्हें होती है पेसमेकर की जरूरत

पेसमेकर बढ़ती हुई उम्र की समस्या है। विश्व 0.04 लोग हार्ट के रिदम के ब्लॉक की समस्या से ग्रसित हैं। ऐसे लोगों को पेसमेकर की आवश्यकता पड़ रही है।

पेसमेकर से संबंधित दिक्कत सबसे ज्यादा 55 से 60 वर्ष के बाद होती है। तकरीबन 5 से 8 प्रतिशत 40 वर्ष के बाद और तीन प्रतिशत मामलों में ये लगभग 40 से कम आयु वर्ग के लोगों में देखा गया है। डॉ अमित एक 29 साल की युवती और 32 साल के युवक को पेसमेकर लगा चुके हैं।

कैसे होती है पहचान

इसकी पहचान प्रथम दृष्टया ईसीजी के आधार पर की जाती है इसके अलावा ईकोकार्डियोग्राफी और हॉल्टर के जरिये अंतिम परीक्षण करके पेसमेकर लगाया जाता है।

क्या थी जटिलता

डॉ अमित बताते हैं कि इतनी ज्यादा उम्र में पेसमेकर लगाना चैलेंजिंग होता है। इसमें वेन्स घुमावदार हो जाती हैं। लीड को हार्ट तक ले जाना बड़ा चैलेंज था।

पेसमेकर को लगाने के लिए शरीर मे कालर बोन से नीचे दो इंच का एक चीरा लगाया जाता है।  मरीज को लोकल एनेस्थीसिया देकर एक सीरिंज से ब्लड के माध्यम से लीड को हार्ट तक लेकर जाते हैं, लीड का दूसरा सिरा, पल्स जेनरेटर से कनेक्ट करते हैं जहां से हार्ट को  धड़कने के लिए पल्स मिलती है। शरीर मे ही कालर बोन के पास एक माचिस के डिब्बे के साइज की पाकेट बनायी जाती है, जिसमें पल्स जेनेरेटर रख देते हैं।परमानेंट पेसमेकर एक जीवन रक्षक प्रोसीजर है। इसमें सावधानी के तौर पर मरीज को कुछ दिनों के लिए बाएं हाथ का मूमेंट कम करना होता है, और दूसरे दिन ही वह चलने फिरने लगता है।

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