विरासत के रंगों को यादों में समेट तुर्किश कलाकार हुए विदा

 विरासत के रंगों को यादों में समेट तुर्किश कलाकार हुए विदा

इंडो तुर्किश आर्ट सिंपोजियम का समापन

सात दिन तक लेकसिटी की विरासत से रूबरू होते हुए कलाकृतियों के रंग सजाने के बाद तुर्किश कलाकार विदा हो गए। तुर्की के कलाकारों ने कहा कि भारतीय संस्कृति को अब तक जितना जाना था, उससे कई ज्यादा सिंपोजियम में देखकर अनुभूत हुए। भारतीय संस्कृति व सभ्यता ऐसी संवेदनशील शक्ति है, जिससे भारत पूरे विश्व को शांति की राह दिखा सकता है।

इंडो तुर्किश अंतरराष्ट्रीय आर्ट सिंपोजियम का आयोजन पीएन चोयल मेमोरियल फाउंडेशन और मुंबई की कला संस्था वर्मिलियन ग्रुप के संयुक्त तत्वाधान में चोयल आर्ट स्पेस में हुआ था। सात दिन तक चले कला उत्सव में जहां टर्की के कलाकारों ने आकर्षक कलाकृतियां बनाई, वहीं भारतीय कलाकारों ने भी रंग जमाए। सिम्पोजियम का समापन बुधवार को हुआ। कला समागम में तुर्की के 11 और भारत के 12 प्रख्यात कलाकारों ने शिरकत की थी। सिंपोजियम के डायरेक्टर मशहूर चित्रकार शैल चोयल थे, वहीं संयोजन मुम्बई की रितु सिंह पांडे ने किया।
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सामूहिक कला विवेचन
दोनों देशों के कला एवं सांस्कृतिक विरासत को पारस्परिक अनुभूत करते हुए गहराई से शोधपरक दृष्टि से सामूहिक विवेचन किया। भारतीय संस्कृति के प्रचार प्रसार एवं सांस्कृतिक कला चेतना के उत्थान एवं आदान-प्रदान के उद्देश्य से आर्ट सिंपोजियम का आयोजन किया गया था। इसमें शामिल कलाकारों ने एक ही स्थान पर एक साथ कला प्रेमियों के सम्मुख आधुनिक शैली के चित्रों का सृजन किया।
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इन कलाकारों की भागीदारी
सिंपोजियम में तुर्की के सेवत्री कोक, सेरेन एप्पडी, यार्डोगुल लसिम, मिलक गुनबे, दुजार टाग्लू, अमीन केस्क्रीन, अयेश सेजर, केनेक सेजर, अमेट अवसी, शेरपिल ओज़बक और भारत की ओर से सुशील निंबार्क, प्रभा शाह दिल्ली, अब्बास बाटलीवाला, हेमंत द्विवेदी, मयंक शर्मा, आकाश चोयल, शाहिद परवेज, दीपिका माली, रितु सिंह, चारुल, अमित हरित, चंद्रशेखर सैनी की भागीदारी रही।

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