लेकसिटी की तीन प्रमुख झीलों पर लगेंगे सतत जल गुणवत्ता मापक उपकरण

 लेकसिटी की तीन प्रमुख झीलों पर लगेंगे सतत जल गुणवत्ता मापक उपकरण

उदयपुर, 17 अप्रेल। संपूर्ण विश्व में अपनी झीलों के लिए शुमार लेकसिटी उदयपुर की शान फतहसागर, पीछोला और उदयसागर झील को स्वच्छ व संुदर बनाए रखने के लिए जिला कलक्टर ताराचंद मीणा ने झीलों के पानी की गुणवत्ता को दर्शाने के लिए उपकरण स्थापित करने के निर्देश दिए है । कलक्टर सोमवार को जिला झील विकास समिति की बैठक में संबंधित विभागीय अधिकारियों से चर्चा की.

कलक्टर ने शहर की तीनों प्रमुख झीलों पर पानी की गुणवत्ता को दर्शाने वाले इन उपकरणों को लगवाने का दायित्व नगर निगम आयुक्त वासुदेव मालावत को दिया और प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारियों को आगामी 25 अप्रेल को शाम 4 बजे इस उपकरण की तकनीकी जानकारी संबंधित बैठक में प्रस्तुतीकरण देने के निर्देश दिए।  


लगभग एक करोड़ का आएगी लागत:
इस दौरान प्रदूषण नियंत्रण मंडल की वरिष्ठ वैज्ञनिक अधिकारी पायल पंचोली ने झीलों की सेहत बताने वाले इस अत्याधुनिक उपकरण के बारे में जानकारी दी और कहा कि इसके तहत केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल और राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा जलपरियोजनाओं में लिए जाने वाले पैरामीटर्स को लिया जाएगा।

इस उपकरण के लगाए जाने के बाद उदयपुरवासियों को चौबीसों घंटे एक मिनट के अंतराल में झीलों के पानी की गुणवत्ता की स्थिति की जानकारी मिल सकेगी। इस उपकरण की स्थापना और इसके पांच साल तक मैंटेनेंस पर लगभग एक करोड़ रुपयों की लागत आएगी।


बैठक में इन विषयों पर हुई चर्चा:

जिला झील संरक्षण एवं विकास समिति की बैठक में नगर निगम आयुक्त वासुदेव मालावत ने बैठक एजेंडा प्रस्तुत किया।

बैठक दौरान हरिदास जी की मगरी क्षेत्र में पट्टे दिये जाने के संबंध में चर्चा में आयुक्त मालावत ने बताया कि वर्तमान में प्रशासन शहरों के संग अभियान अन्तर्गत निगम क्षेत्र में पट्टे देने की कार्यवाही की जा रही है तथा निगम स्तर पर हरिदास जी की मगरी क्षेत्र में भी पट्टे दिये जाने प्रस्तावित हैं चूंकि उक्त क्षेत्र पिछोला झील के समीप स्थित है इसलिए इस क्षेत्र में पट्टे दिये जाने हेतु समिति में चर्चा की जानी प्रस्तावित है।

जिस पर समिति की बैठक में उपस्थित नगर विकास प्रन्यास के तकनीकी सलाहकार बी.एल. कोठारी ने बताया कि माननीय उच्चतम न्यायालय के द्वारा उदयपुर की झीलों हेतु नियंत्रित निर्माण क्षेत्र उपविधि 2013 को लागू कर झील के चारों ओर के क्षेत्र को विभिन्न जोनों में बांटकर निर्माण स्वीकृति प्रदान करने हेतु नगर निगम एवं नगर विकास प्रन्यास को अधिकृत किया गया है तथा इस संबंध में पूर्व में ही माननीय उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के विभिन्न निर्णय/आदेश जारी किये हुए है तद्नुसार है कार्यवाही की जानी चाहिए।

बैठक में मौजूद समिति सदस्य उदयपुर ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा ने बताया कि झीलों के आस-पास के क्षेत्रों में जो भी पट्टे दिये जायें, उनमें यह शर्त डाली जावें कि झील में किसी भी प्रकार की गंदगी या सीवरेज का पानी नहीं डाला जावेगा। बैठक में कलक्टर मीणा ने कहा कि राजस्थान झील विकास प्राधिकरण अधिनियम 2015 में जिला झील संरक्षण एवं विकास समिति का जो कार्यक्षेत्र एवं अधिकारिता वर्णित की गई है उसमें यह कार्य समिति के कार्यक्षेत्र में नही आता है इसलिए समिति के स्तर पर इस संबंध में कोई निर्णय नही लिया जा सकता है। समिति द्वारा बाद विचार विमर्श निर्णय लिया गया कि माननीय उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय द्वारा इस संबंध में जो भी निर्णय/आदेश जारी किये गये है उसके अनुसार नियमानुसार कार्यवाही की जावें ।

बैठक में राजस्थान झील विकास प्राधिकरण अधिनियम 2015 अन्तर्गत जिला झील समिति में दो नवीन विशेषज्ञ सदस्य नामित करने संबंधी चर्चा की गई। निर्देशानुसार सदस्य मनोनयन करने हेतु प्रस्ताव राजस्थान झील विकास प्राधिकरण जयपुर को प्रेषित किया गया तथा राजस्थान झील विकास प्राधिकरण द्वारा अवगत करवाया गया है कि अधिनियम की धारा 25 के अन्तर्गत प्राधिकरण को प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए जिला झील समिति में दो विशेषज्ञ नामित करने हेतु राज्य सरकार की शक्तियों समस्त जिला कलक्टर को प्रत्यायोजित की गई है। जिसके अनुसरण में कलक्टर के स्तर से दो विशेषज्ञ सदस्यों का मनोनयन कराने के निर्देश प्रदान किये है।

बताया गया कि विशेषज्ञ सदस्य पर्यावरण पारिस्थितिकी, भूविज्ञान, जल विज्ञान, जलीय भू विज्ञान, सरोवर विज्ञान या झील संरक्षण के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले व्यक्ति होने चाहिए जिस पर समिति द्वारा चर्चा की गई तथा विमर्श उपरांत निर्णय लिया गया कि योग्यता रखने वाले व्यक्तियों के चयन हेतु एक विज्ञप्ति का प्रकाशन करवाकर बायोडेटा आमंत्रित किये जाएं

Related post