उदयपुर की झील में क्रूज़: सच्चाई और मिथ्या

 उदयपुर की झील में क्रूज़: सच्चाई और मिथ्या

पिछोला झील में एक विशालकाय क्रूज़ के उतरने की खबर इन दिनों वायरल हो रही है, लोगो के मन में जिज्ञासा तो है पर जानकारी के अभाव में असमंजस और अनिश्चिता बनी हुई है कि आखिर क्यूँ, क्या और कैसे यह क्रूज़ झील, जीव और जनता को नुक्सान दिए बिना संचालित हो पायेगा.

जिज्ञासा ही ज्ञान की जननी है, तो हमने भी अपनी क्युर्योसिटी को नॉलेज में बदलने की कोशिश करते हुए इस क्रूज़ के बारे में कई जानकारियां एकत्रित की और इसके सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलु आपके समक्ष लाने की कोशिश की है.

नकारत्मक – सकारात्मक से पहले इस क्रूज़ के बारे में कुछ मिथक और तथ्य को साफ़ करना ज़रूरी है. ताकि आप वास्तविकता को जाने क्यूंकि अंत में फैसला तो आप उदयपुर की जनता का ही होगा.

इसलिए कृपया आगे पढ़े. ……

क्रूज़ नहीं, फ्लोटिंग रेस्तरां है

सबसे पहले यह क्लियर करना ज़रूरी है कि यह विशालकाय नाव क्रूज़ है भी या नहीं, जी नहीं यह प्रेक्टीकली क्रूज़ नहीं बल्कि एक फ्लोटिंग रेस्तरां है जो एक नाव के ऊपर बना हुआ है.

आम भाषा में यदि इसे क्रूज़ कहे तो कोई अपराध नहीं परन्तु वास्तव में यह क्रूज़ नहीं है. क्रूज़ एक तरह का शिप (जहाज) होता है जो समुंद्र में चलता है, इसमें खाने के साथ रहने का भी इन्तिज़ाम होता है.

हम इस आर्टिकल में आसानी से समझाने के भाषा में इसे क्रूज़ बोट कहेंगे*

इसकी बनावट, क्षमता और उद्देश्य

इस क्रूज़ बोट (फ्लोटिंग रेस्तरां) में 150 लोगो को इंडियन और कॉन्टिनेंटल भोजन परोसा जायेगा. इसकी डिजाईन मेवाड़ के गौरवमयी इतिहास, कला और आर्किटेक्चर से प्रेरित हो कर बनायीं गयी है. इसमें ब्रेकफास्ट और डिनर का लुत्फ़ चलती नाव में लिया जा सकेगा जबकि लंच के समय यह किनारे पर स्थिर रहेगी

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कितना प्रदूषित कर सकती है यह झील को?

इस क्रूज़ बोट को “ड्राई एग्जॉस्ट टेक्नोलॉजी” से बनाया गया जिसमे, इसका फ्यूल, ऑइल और स्मोक यानी नाव का इंधन, तेल और धुंआ किसी भी तरह से झील के पानी को नहीं छु नहीं सकता.

-फायर-लेस किचन

इस क्रूज़ बोट में कोई खाना नहीं बनाया जायेगा, जी हाँ जितनी जानकारी हमें मिली है उस आधार पर इस क्रूज़ बोट में सिर्फ खाना गर्म करके परोसा जायेगा, खाना बनाने के लिए किचन की व्यवस्था किनारे पर की जाएगी.

– बायो-टॉयलेटइस

क्रूज़ बोट में बायो टॉयलेट है जिसका वेस्ट बोट में ही सेफ्टी टैंक में एकत्रित कर पंप से ट्रेन्चिंग ग्राउंड में निस्तारण किया जायेगा.

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अब बात करते है इसके प्रोप्लर और गति की

यह क्रूज़ बोट 4.5 फिट घहरे पानी में भी आराम से चल सकती है क्यूंकि इसका पंखा यानी प्रोप्लर सिर्फ डेढ़ फिट लम्बा है. इसकी गति को ऐसे समझिये कि जहाँ आम स्पीड बोट 25 मिनट में जो रास्ता तय करती है वही दूरी यह क्रूज़ बोट डेढ़ दो घंटो में पूरी करेगी.

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बिना एनओसी कैसे उतारा झील में?

इस क्रूज़ बोट के संचालको की माने तो एनओसी के लिए बोट का पानी में उतरना ज़रूरी होता है, और पानी में उतरने की परमिशन नगर निगम द्वारा दी गयी थी. उनका कहना है, बिना अनुमति क्रूज़ बोट का संचालन नहीं होगा…….

सेफ्टी

क्रूज़ बोट के संचालक ने बताया कि इसका निर्माण डबल हल टेक्नोलॉजी से किया गया है जिसमे किसी भी परिस्थिति में यह क्रूज़ बोट डूब नहीं सकती, फिर भी इसमें एक सेफ्टी बोट है साथ ही सभी तरह के सुरक्षा उपकरण भी.

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तो यह था इस क्रूज़ बोट का ज्ञान, अब चलिए बात करते है पॉजिटिव और नेगेटिव पहलु की

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सबसे पहले इस क्रूज़ बोट के कुछ सकारात्मक पहलु

– रोज़गार

झीलों के शहर उदयपुर में पर्यटन सबसे बड़ा आय का स्त्रोत है, इस क्रूज़ से सिर्फ नगर निगम और क्रूज़ संचालक ही नहीं बल्कि कई दुसरे लोगो को भी रोज़गार के अवसर मिलेंगे.

– ट्यूरिस्ट अट्रैक्शन

मेवाड़ की पारंपरिक शैली में बना यह क्रूज़ बोट रेस्तरां उदयपुर को पर्यटकों के लिए एक नया आकर्षण का केंद्र बनेगा.

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– कई शहरों में कामयाब तो क्यूँ न उदयपुर में?

झीलों का शहर भोपाल भी कहलाता है और वहां भी इस तरह के फ्लोटिंग रेस्तरां है, इसी तरह भारत के अन्य कई शहरों की झीलों में, यहाँ तक की गंगा नदी में भी फ्लोटिंग रेस्तरां प्रोजेक्ट कामयाब हो रहे है, तो क्या उदयपुर में भी एह्स अफल नहीं हो सकता ?

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नकारात्मक पहलु

– यह पहली और आखिरी क्रूज़ बोट हो, नहीं तो.

उदयपुर में एक झील नहीं है, इस एक प्रोजेक्ट से कही ऐसा न हो कि निकट भविष्य में हर झील में इस तरह कि कई फ्लोटिंग क्रूज़ बोट लगा दिए जाये, ज्यादा क्रूज़ होने से संचालन क्वालिटी में भी फर्क आ सकता है जिससे झीलों का प्राक्रतिक सौन्दर्य प्रभावित होगा

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– एक्सपोजर के नाम पर एक्स्प्लोईटेशन न हो

क्रूज़ बोट एक आय का विकल्प होने के साथ साथ पर्यटकों के लिए भी अट्रैक्शन हो सकता है, पर इसीकी क्या गारंटी कि सम्बंधित विभाग द्वारा भविष्य में इसकी वजह से पर्यावरण का शोषण न हो?

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क्रूज़ बोट नहीं, भ्रष्टाचार है झील का दुश्मन

यह ना कोई नई बात है न किसी से छुपी हुई है, हर विभाग भ्रष्टाचार के कैंसर से झुझ रहा है, इसमें कोई दोराए नहीं कि क्रूज़ एक व्यावसायिक गतिविधि है, आज इसके ढेरो सकारात्मक तथ्य और पहलु हो सकते है, पर कही यह भ्रष्टाचार की भेंट न चढ़ जाये.

विचार:

उदयपुर न दुबई बन सकता है और न थाईलैंड, न ही हमें किसी के जैसा इस शहर को बनाना है, पर उदयपुर विश्व प्रसिद्द बने, यहाँ की विरासत, झीले, महल, किले, पहाड़ बचे रहे हम सभी यही चाहते है.

तो क्या मोडर्न टेक्नोलॉजी को अपनाते हुए भी हम इतिहास और अपनी बेशकीमती विरासतों को नहीं बचा सकते है.विकास के दुष्परिणाम पूरा विश्व भुगत रहा है, डेवलपमेंट तो शायद कभी रुक नहीं सकता, तो न ही इसके दुष्परिणामो को हम कभी रोक पाएंगे, पर इतना ज़रूर हो सकता है कि एक ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते हम किसी भी तरह प्रकृति को ( चाहे छोटे लेवल पर) पर बचाने की कोशिश करे .

उदयपुर में क्रूज़ बोट या फ्लोटिंग रेस्तरां भविष्य में क्या दिखाता है यह तो आने वाला कल ही बताएगा, फिलहाल ज़रूरत है सकारात्मक सोच की और तथ्यों और सच्चाई पर भरोसा करने की.

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*सभी जानकारी और तथ्य सम्बंधित विभाग और क्रूज़ संचालको द्वारा Udaipurwale.com को उपलब्ध करवाए गए.*

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