शिक्षा में कठपुतली की भूमिका पर ऑनलाइन कार्यशाला
सीसीआरटी देश भर में सेवारत शिक्षकोंए शिक्षक शिक्षकों के लिए कार्यशालाओं के रूप में विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता हैए इसी कड़ी में 16 से 26 नवंबर 2021 तक सीसीआरटी क्षेत्रीय केंद्रए उदयपुर द्वारा वर्चुअल मोड में श्शिक्षा में कठपुतली की भूमिका . राष्ट्रीय शिक्षा निति2020 का प्रतिबिंबश् पर एक कार्यशाला आयोजित की गई है.
यह प्राथमिक विद्यालय के छात्रों को शिक्षित करने के लिए कठपुतली और संबंधित कला रूपों के व्यापक उपयोग पर केंद्रित है। इस कार्यशाला में असमए बिहारए छत्तीसगढ़ए गोवाए गुजरातए हरियाणाए कर्नाटकए महाराष्ट्रए पंजाबए राजस्थानए उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के 12 राज्यों से लगभग 90 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है.
एक भारतीय परंपरा के रूप में कठपुतली कला अभ्यास शिक्षण के दौरान शिक्षा में बहुत उपयोगी है । कठपुतली थियेटर और कठपुतली का उपयोग हमारी परंपरा और संस्कृति का हिस्सा हैए यह एक ऐसा माध्यम है जिसका उपयोग जनता को शिक्षित करने के साथ.साथ मनोरंजन के लिए भी किया जाता है। यह उपकरण बच्चों के लिए बहुत प्रभावी है क्योंकि वे तुरंत जुड़ जाते हैं। यह मानसिकता के विकास और छात्रों के बीच अभिनयए लेखनए नाटकए गायन आदि जैसे विभिन्न कौशल विकसित करने में बहुत उपयोगी है.
प्रसिद्ध रंगमंच कलाकार और कठपुतली कलाकार विलास जानवेए महेश आमेटाए डॉण् लईक हुसैनए अनुरुपा रॉय द्वारा प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया गया.
प्रसिद्ध रंगमंच एवं मुकाभिनय कलाकार दीपक दीक्षित द्वारा संचार कौशल को बढ़ावे देने के लिए व्याख्यान दिया गया.
भरतनाट्यम पर प्रसिद्ध नृत्यांगना बिनाल वाला व्याख्यान एवं नृत्य प्रस्तुतिकरण किया गया.
कार्यशाला में प्रसिद्ध संगीतकार डॉ प्रेम भण्डारी द्वारा 12 भाषाओं में गायन कर प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया। अजय चौधरी द्वाराराजभाषा हिन्दी और सलोनी प्रिया द्वारा लेंगिक समानता एवं संवेदनशीलता पर भी व्याख्यान दिये गए.
कार्यशाला का सम्बोधन सीसीआरटी उदयपुर के परामर्शक दिनेश कोठारी ने किया.