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शिल्पग्राम में ‘भगवदज्जुकम्’ नाट्य का मंचन

 शिल्पग्राम में ‘भगवदज्जुकम्’ नाट्य का मंचन

उदयपुर, 6 मार्च। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से रंगशाला मासिक नाट्य प्रस्तुति के अंतर्गत महाकविबोधायन कृत संस्कृतनाटक ‘भगवदज्जुकम्’ का मंचन रविवार को शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में संपन्न हुआ। इस नाट्य प्रस्तुति में पात्रों की आत्मा की अदला-बदली से दर्शकहंस-हंस के लोटपोट हो गए।

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर की निदेशक श्रीमती किरण सोनी गुप्ता ने बताया कि ‘भगवदज्जुकम्’ (प्रहसन) एक संस्कृत नाटक है। भगवद् अर्थात् सन्यासी और अज्जुका अर्थात् गणिका। यह 7वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में लिखा एक प्रहसन है। बोधायन द्वारा संस्कृत में लिखा गया यह प्रहसन शुद्ध हास्य है।

शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में रविवार शाम नाट्यांश नाटकीय एवं कला प्रदर्शनीय कला संस्थान के कलाकारों द्वारा एवं बोधायन द्वारा लिखित व रेखा सिसोदिया द्वारा निर्देशित नाटक ‘‘भगवदज्जुकम’’ मंचित किया गया। इस अवसर पर मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी के कुलपति, वरिष्ठ रंग कर्मी भान ुभारती, वरिष्ठ चित्रकार शैल चोयल उपस्थित थे।

नाटक की शुरूआत एक सन्यासी से होती है जो कि ज्ञानी और सिद्धी प्राप्त है। उनका एक शिष्य जोकि चंचल स्वभाव के कारण भटका हुआ है। जब वे एक उद्यान में ध्यान लगाते है उसी समय एक सुंदरी अपनी सखियों के साथ अपने प्रेमी से मिलने आती है। उसके बाद यम दूत उनकी सखियों में से किसी का प्राण लेने आते है लेकिन समान नाम की गलती से सुंदरी के प्राण हर ले जाते है । यह देख कर शिष्य को बहुत दुख होता है तथा गुरूजी से प्रार्थना करता है कि सुंदरी को जीवित कर दे। तब गुरूजी अपनी योग विद्या के बल पर उस सुंदरी के शरीर में प्रवेश कर लेते है। उसी समय यमदूत अपनी गलती सुधारने आते है लेकिन उन्हें सुंदरी के शरीर में गुरूजीको देखते है तब गुरूजी के शरीर में सुंदरी की आत्मा प्रवेश करा देते है। इस प्रकार आत्मा की इस अदला बदली को भगवदज्जुकम् नाम दिया गया है।

इस प्रस्तुति में ध्वनि और प्रकाश के प्रभाव के साथ-साथ छायानाट्य तकनीक का प्रयोग भी उत्कृष्ट ढंग से किया गया।

इस नाट्य प्रस्तुति कलाकारों में परिव्राजक के किरदार में यश शाकद्वीपीय, शांडिल्य-महावीर शर्मा, वसंतसेना-आस्थानागदा, परिभृतिका-उर्वशी कंवरानी, यमदुत-भुवनजैन, सुत्रधार/वैद्य-मुकुल खांडिया, विदूषक/रामिलक-मुरली अहीर, माता-हर्ष दुबे ने अपनी भूमिका अदा की।

मंच पाश्र्वपर संगीत संचालन वसंयोजन मोहम्मद रिजवान मन्सुरी, गायन स्वर श्रेया पालीवाल, हरिजा पाण्डेय, नृत्य संयोजन कृष्णेन्दू साहा, प्रकाश संचालन अमित श्रीमाली, वेशभूषा लता सिसोदिया, योगिता सिसोदिया, मुख सज्जा योगिता सिसोदिया, मंच सहायक जोमी जोजो, रियानाग देव, लेखक बोधायन, भाषा लिपि यांतरनेमीचन्द जैन, सह निर्देशक अमित श्रीमाली।

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