अरावली श्रृंखला में आने वाली ग्राम पंचायतों में होटल रिसोर्ट के लिए नहीं हो कन्वर्जन

 अरावली श्रृंखला में आने वाली ग्राम पंचायतों में होटल रिसोर्ट के लिए नहीं हो कन्वर्जन

नई हिल पॉलिसी के तहत तैयार किया जाएगा प्रस्ताव
यूडीए अध्यक्ष ने राजस्व विभाग को पत्र लिखने के दिए निर्देश

उदयपुर, 25 जनवरी। हाईकोर्ट के आदेश पर तैयार किये जा रहे नई हिल पॉलिसी ड्राफ्ट में इस बिंदु को सम्मिलित किया जा रहा है कि अरावली श्रृंखला में पहाड़ियों पर अब नये होटल व रिसोर्ट के लिए भू-रूपांतरण नहीं किया जाए।

इस संबंध में संबंधित ग्राम पंचायतों में भू-रूपांतरण प्रतिबंधित करने के निर्देश जारी करने हेतु राजस्व विभाग को पत्र लिखा जाएगा। यूडीए अध्यक्ष राजेन्द्र भट्ट की अध्यक्षता में हिल पॉलिसी ड्राफ्ट समिति की गुरुवार को हुई बैठक में यह निर्देश दिए गए। साथ ही झीलों में गिरने वाले नदी-नालों के आस-पास की पहाड़ियों को भी नो कन्स्ट्रक्शन जोन घोषित किया जाएगा।

श्री भट्ट ने कहा कि अरावली पर्वत श्रृंखला में पहाड़ियों पर होटल एवं रिसोर्ट बनाने का चलन बढ़ा है जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंच रहा है। क्षेत्र का पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ने का खतरा पैदा होने लगा है। नई हिल पॉलिसी में इस बात को गंभीरता से शामिल करते हुए अरावली क्षेत्र में पहाड़ियों पर होटल रिसोर्ट के लिए भूमि रूपांतरण प्रतिबंधित करने की आवश्यकता है। बैठक में भट्ट ने निर्देश दिए कि यूडीए की ओर से राजस्व विभाग को एक पत्र लिखा जाए जिसमें अरावली क्षेत्र में आने वाली ग्राम पंचायत क्षेत्रों की पहाड़ियों पर होटल रिसोर्ट के लिए भू-रूपांतरण प्रतिबंधित करने का अनुरोध किया जाए। इससे पहाड़ियां कटने से बचेगी और पर्यावरण का संरक्षण हो सकेगा।

श्री भट्ट ने कहा कि झीलें उदयपुर की लाइफलाइन है। पहाड़ियों की लगातार कटाई से झीलों का कैचमेंट एरिया प्रभावित हो रहा है, साथ ही झीलों में गिरने वाले छोटे-मोटे नदी-नाले विलुप्त होने के कगार पर है। उन्होंने कहा कि झीलों में पानी की आवक बनाए रखना भी अति आवश्यक है, इस हेतु सिंचाई विभाग से जीटी शीट प्राप्त कर ऐसे नदी नालों को चिन्हित कर उन्हें पुनर्जीवित किया जाए। इन नदी नालों से जुड़ी पहाड़ियां को नो कन्स्ट्रक्शन जोन में रखा जाए ताकि पहाड़ियां को बचाया जा सके और झीलों में पानी की आवक बनी रहे।

बैठक में सज्जनगढ़ को केन्द्र मानकर 20 किलोमीटर एरिया में आने वाली पहाड़ियों का सर्वे का दायरा बढ़ाते हुए अब 30 किमी परिधि में आने वाली पहाड़ियों का सर्वे करने का निर्णय किया गया। श्री भट्ट ने कहा कि उत्तर में देलवाड़ा, दक्षिण में टीडी डेम, पूर्व में डबोक से आगे का क्षेत्र एवं पश्चिम में झाड़ोल तक ही पहाड़िया इस दायरे में आने से उनके संरक्षण की दिशा में प्रयास किए जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि इस परिधि में वन विभाग के अधीन पहाड़ियों को छोड़कर अन्य पहाड़ियों की इमेज सेंसिंग कर कन्टूर मेंपिंग की जाए ताकि उनकी ऊंचाई और ढलान के अनुसार वर्गीकृत किया जा सके।

बैठक में यूडीए सचिव राजीव जोशी, भूमि अवाप्ति अधिकारी मनसुख डामोर, अधीक्षण अभियंता अनीत माथुर, डीसीएफ अरूण कुमार डी, सिंचाई विभाग के अधीक्षक अभियंता राजेश टेपण, वरिष्ठ नगर नियोजक नरहरिसिंह पंवार, डीटीपी ऋतु शर्मा सहित अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे।

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