गीतांजली हॉस्पिटल में हुआ दक्षिण राजस्थान का पहला केडेवेरिक अंगदान (Deceased Organ Donation)

 गीतांजली हॉस्पिटल में हुआ दक्षिण राजस्थान का पहला  केडेवेरिक अंगदान (Deceased Organ Donation)
  • राजस्थान में पहली बार एक शहर से दूसरे शहर शहर में हुए ऑर्गन ट्रांसपोर्ट
  • पहली बार ग्रीन कॉरिडोर द्वारा जयपुर के अस्पतालों में गए अंग
  • अंगदाता ने दिया पांच लोगों को नया जीवन

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर में पहली बार केडेवेरिक अंगदान हुआ। दक्षिण राजस्थान में पहली बार ऑर्गन ट्रांसपोर्टेशन के लिए ग्रीन कोरिडोर बनाया गया। यह अंगदान नाई की रहने वाली 44 वर्षीय श्रीमती स्नेहलता के ब्रेन डेड घोषित हो जाने पर उनके परिवार द्वारा निर्णय लेने पर किया गया|

यह अंगदान स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन (सोटो) द्वारा निर्धारित क्रम व नियमानुसार किया गया. रोगी को 12 अक्टूबर 2022 को गीतांजली हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजी विभाग में भर्ती किया गया, जहां डॉक्टर्स की टीम द्वारा 15 अक्टूबर 2022 को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया.

डॉक्टर्स की टीम द्वारा परिवार वालों को अंगदान करने की सलाह दी गयी. परिवार वालों ने मिलकर अंगदान करने का निर्णय लिया. गीतांजली हॉस्पिटल की टीम के साथ समन्वय बनाया गया । गीतांजली हॉस्पिटल में ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन की टीम के सदस्यों में डॉ पंकज त्रिवेदी, डॉ कमल किशोर बिश्नोई, डॉ संजय गाँधी, डॉ अंकुर गाँधी, डॉ कल्पेश मिस्त्री, डॉ निलेश भटनागर, , डॉ विनोद मेहता, डॉ गोविन्द मंगल, डॉ संजय पालीवाल की देखरेख में श्रीमती स्नेहलता के अंगों का दान किया गया।

अंगदान के बाद अंगों को ग्रीन कॉरिडोर द्वारा लीवर व दो किडनियों को उदयपुर से जयपुर के एस.एम.एस हॉस्पिटल, एम.जी.एम हॉस्पिटल के लिए रवाना किया गया, इस प्रक्रिया के लिए जिला पुलिस उदयपुर, चित्तोरगढ़, भीलवाड़ा, अजमेर, जयपुर का विशेष योगदान रहा.

तत्पश्चात पार्थिव शरीर को सम्मानपूर्वक उनके परिवारजनों के साथ निवास स्थान की ओर प्रस्थान किया गया. इस मौके पर गीतांजली अस्पताल के सभी प्रशासनिक अधिकारी, डॉक्टर्स, नर्सेज, परिचारक मौजूद थे. उपस्तिथ सभी जन समूह भाव विभोर हो उठा, और साथ ही अश्रुधारा बहने लगी व स्नेहलता जी अमर रहे के नारे लगने लगे|

ललित कुमार दलाल ( स्नेहलता के पति) ने कहा कि वह चाहते हैं कि सब लोग अंगदान के महत्व को समझें और इसके उपयोगिता को समझे. उनके अनुसार आज उनकी पत्नी के अंगदान से कितने लोगों को नयी जिंदगी मिलने जा रही है, समय का कुछ नही पता क्या पता कब किसी को क्या ज़रूरत हो और वैसे भी भी शरीर को जलाते हैं सब अंग जल जाते हैं ऐसे में वो किसी के काम आयें, ये ज्यादा ज़रूरी है|

मनन दलाल (स्नेहलता के पुत्र) जो कि स्वयं नीट की तैयारी कर रहे हैं व डॉक्टर बनना चाहते हैं ने बताया कि उनकी बहन सुरभि दलाल दोनों ने निश्चय किया कि वह अंगदान में पूरा सहयोग देंगे क्यूंकि वो आज के युवा है, आज हर युवा को अंगदान के महत्व को समझना आवश्यक है| गीतांजली हॉस्पिटल इस युवा पीड़ी के जस्बे की सराहना करती है|

गीतांजली हॉस्पिटल में अब तक लाइव डोनर के 5 किडनी ट्रांसप्लांट किये जा चुके हैं , ज्ञात करा दें कि हॉस्पिटल किडनी, ह्रदय व कॉर्निया के ट्रांसप्लांट के लिए राज्य सरकार द्वारा अधिकृत है|

जीएमसीएच के सी.ई.ओ श्री प्रतीम तम्बोली ने गीतांजली हॉस्पिटल के समस्त सदस्यों की ओर से अंगदाता व उनके परिवार को शत-शत नमन किया | इस सारी प्रक्रिया में  डिविजनल कमीशनर, आई.जी पुलिस, सुप्रीटेनडेंट पुलिस, सीएमएचओ, चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी  व ट्रैफिक कंट्रोल को धन्यवाद प्रेक्षित किया और साथ ही इस त्वरित योगदान की प्रशंसा की.

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