लोक संस्कृति के अनूठे पर्व शिल्पग्राम उत्सव का हुआ आगाज
उदयपुर, 21 दिसंबर। झीलों की नगरी में लोक संस्कृति के अनूठे पर्व शिल्पग्राम उत्सव का आगाज बुधवार को समारोहपूर्वक हुआ। प्रदेश के राज्यपाल माननीय कलराज मिश्र ने पारंपरिक नगाड़ा बजाकर एवं दीप प्रज्जवलित कर इस उत्सव का शुभारंभ किया।
समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने सभी अतिथियों का स्वागत कर कहा कि शिल्पग्राम जीवन से जुड़ी उत्सवधर्मिता का त्योहार है। भारतीय संस्कृति जीवन से जुड़े संस्कारों से ही प्रत्यक्षतः जुड़ी हुई है। जीवन से जुड़े जो संस्कार हैं, उनसे ही कला उपजती रही है। उन्होंने कहा कि यहां जो स्टॉल लगाए हैं, उनको देखकर स्पष्ट ही यह अनुभूत होता है कि जीवन से जुड़ी परम्पराओं को कैसे कलाकारों ने अपने सृजन में शिल्प, चित्रकला और अन्य कलाओं में उकेरा है।
राज्यपाल ने कहा कि शिल्पग्राम उत्सव में 400 शिल्पकार और 700 लोक कलाकार भाग ले रहे हैं। इन सबके पास कलाओं कलाओं का अनमोल खजाना है। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि शिल्पग्राम में बेणेश्वर धाम के संत मावजी महाराज के चोपड़ों में समाहित चित्रों का छायांकन कर प्रलेखन किया गया है।
राज्यपाल श्री मिश्र ने जयपुर के तमाशा कलाकार व रंगकर्मी दिलिप कुमार भट्ट तथा अहमदाबाद के संस्कृति कर्मी तथा जनजाति कला के उन्नयन में उल्ल्ेखनीय कार्य करने वाले डॉ. भगवान दास पटेल को पद्मभूषण डॉ कोमल कोठारी स्मृति लाइफ टाइम अचीवमेन्ट पुरस्कार प्रदान किया।
शुभारंभ समारोह में गोवा के कला एवं संस्कृति मंत्री श्री गोविन्द गावड़े, बेणेश्वर धाम के महंत अच्युतानंद पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र निदेशक किरण सोनी गुप्ता, चुनाव आयुक्त मधुकर गुप्ता, संभागीय आयुक्त राजेन्द्र भट्ट, जिला कलक्टर ताराचंद मीणा ओएसडी गोविन्द जायसवाल आदि मौजूद रहे।
संत मावजी रचित चित्रों की प्रदर्शनी का किया उद्घाटन:
आरंभ में राज्यपाल ने संगम सभागार में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र द्वारा बेणेश्वर धाम के संत मावजी महाराज के चोपड़ों में समाहित चित्रों का छायांकन कर प्रलेखन किए गए चित्रों की प्रदर्शनी का शुभारंभ किया।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने मन मोहा
शिल्पग्राम उत्सव के उद्घाटन अवसर पर मुख्य रंगमंच पर ‘समागम’ के आयोजन के अंतर्गत 9 राज्यों के सवा दो सौ कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम की शुरूआत प्रोलोग से हुई जिसमें दीपों से उत्सव का प्रकाश फैलाया।
इसके बाद पश्चिम बंगाल के श्री खोल नृत्य से कार्यक्रम की शुरूआत हुई। इसके बाद जम्मू कश्मीर रॉफ, असम का बोडई शिखला, उडीसा को गोटीपुआ, महाराष्ट्र का लावणी, गोवा का समई, झारखण्ड का छऊ गुजरात का डांग और पंजाब के भांगड़ेे की प्रस्तुतियां सम्मोहक रही।
अंत में समस्त प्रतिभागियों ने एक साथ एक भारत श्रेष्ठ भारत की थीम पर आकर्षक सामूहिक नृत्य प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।