आईसीसीआईएएफ-2024: लेखांकन और वित्त के समकालीन मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आगाज़

 आईसीसीआईएएफ-2024: लेखांकन और वित्त के समकालीन मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आगाज़

*ब्लॉकचैन, ऑटोमेशन ,आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लेखा एवं वित् पर आने वाले प्रभावों  पर विचार मंथन*

उदयपुर। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के लेखा एवं व्यवसायिक सांख्यिकी विभाग के मास्टर ऑफ फाइनेंस एंड कंट्रोल प्रोग्राम और भारतीय लेखाकंन परिषद, उदयपुर शाखा के संयुक्त तत्वाधान में आज *लेखांकन एवं वित्त क्षेत्र के समकालीन मुद्दे* विषय पर एक हाइब्रिड अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीसीआईएएफ-2024) का आगाज हुआ! आयोजक सचिव डॉक्टर शिल्पा वर्डिया ने बताया कि इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रोफ़ेसर मंजू बाघमार राजस्थान राज्य मंत्री द्वारा सम्मेलन का आग़ाज़ किया गया

संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में  IAA उदयपुर शाखा के अध्यक्ष एवं जेआरएन विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस सारंगदेवोत ने संगोष्ठी के मुख्य अथिति सार्वजनिक निर्माण, महिला एवं बाल विकास विभाग राजस्थान सरकार, के राज्य मंत्री प्रो.मंजू बाघमार,  अध्यक्ष, मोलासुवि की कुलपति प्रो सुनीता मिश्रा मुख्य वक्ता प्रो. मार्कसी डॉकिंस, विशिष्ट अतिथि, कोटा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो केसी सोडाणी, IAA के पूर्व अध्यक्ष प्रो. केआर शर्मा, राउशिप, जयपुर के पूर्व उपाध्यक्ष प्रो डीएस चुंडावत एवं UCCMS के अधिष्ठाता प्रो बीएल वर्मा का स्वागत कर संगोष्ठी का विधिवत शुभारंभ किया!

संगोष्ठी निदेशक एवं लेखा एवं सांख्यिकी विभागाध्यक्ष प्रो शूरवीर भाणावत ने वर्तमान युग में लेखांकन डाटा संग्रहण व प्रबंध की समस्या, लेखा सॉफ्टवेयर के साथ अन्य तकनीकी का एकीकृत होना, डाटा का विकेंद्रीकरण,

ब्लॉकचेन अकाउंटिंग, कार्बन अकाउंटिंग और डिजिटलीकरण जैसी ज्वलंत मुद्दों पर अपने विचार प्रस्तुत कर विभाग की ओर से सभी अतिथियों का स्वागत किया! 

संगोष्ठी सचिव शिल्पा वर्डिया संगोष्ठी की रूपरेखा प्रस्तुत कर तथा विभिन्न सत्रों मे चर्चा किये जाने वाले मुद्दो पर विचार व्यक्त किये तथा ये कहा कि ऑटोमेशन के युग में विद्यार्थियों में क्रिटिकल थिंकिंग एवं क्रिएटिविटी के लिए विश्वविद्यालयों को आगे आकर अपने सेलेब्स में वर्तमान समय की माँग को ध्यान में रखकर परिवर्तन करने होंगे

अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के मुख्य वक्ता एवं अमेरिकन एकाउंटिंग संगठन के पूर्व अध्यक्ष प्रो. मार्क सी. डॉकिंस थे, जिन्होंने “शैक्षणिक लेखांकन और वित्त अनुसंधान मॉडल पर पुनर्विचार” 

 पर  वर्तमान समय की माँग के अनुरूप अनुसंधान की रूपरेखा प्रस्तुत करी।लेखा विभाग के संकाय सदस्यों द्वारा तीन संपादित पुस्तकों का लोकार्पण किया गया, जिनके शीर्षक थे -“लेखांकन एक भविष्यवादी दृष्टिकोण”, “लेखांकन और वित्त में समकालीन मुद्दे” तथा” लेखांकन में उभरते मुद्दे”।

विशिष्ट अथिति एवं कोटा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केसी सोडानी ने अपने व्यक्तत्व मे सरकारी कार्मिक को सार्वजनिक अवकाश का मोह त्यागने और समाज,एवं  देश के लिए पूरे वर्ष 24*7 कार्य करने के लिए प्रेरित किया!मोलासुवि के प्रो.सुनीता मिश्रा ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में बताया कि robotics, AI , ICT घातक भी है और अच्छा भी है।  स्टूडेंट के अनुरूप हमे शिक्षा देनी होंगी। उसके उपरान्त माननीय राज्य मंत्री प्रो. मंजु बाघमार ने बताया कि इस तरह की संगोष्ठियों से विधार्थियों को समसामयिक मुद्दों से जुड़ने के अवसर प्राप्त होते है|  कार्यक्रम के अंत में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता प्रोफेसर बी. एल. वर्मा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन दिया गया।

संगोष्ठी में तीन तकनीकी सत्रों में देश एवं विदेश के प्रतिभागियों ने अपने अनुसंधान पत्रों का वाचन किया प्रथम सत्र मे  ब्लॉकचेन अकाउंटिंग, कार्बन, क्रिएटिव अकाउंटिंग , फेयर वैल्यू अकाउंटिंग, अकाउंटिंग में ऑटोमेशन आदि लेखांकन से संबंधित विषयों पर केंद्रित था। द्वितीय तकनीकी सत्र में  पोर्टफोलियो प्रबंधन, व्यवहार वित्त, डिजिटल मुद्रा में वित् और कई अन्य जैसे वित्त से सबधित विषया पर कंद्रित था। तीसरे तकनीकी सत्र में एकीकृत कराधान, वैश्विक कर नीति, कर नियोजन, कर चोरी और कर चोरी तथा लेखा परीक्षा में उभरती प्रवृत्ति जैसे कराधान और लेखा परीक्षा विषयों पर ध्यान केंद्रित किया गया। सम्मेलन बहुत जानकारीपूर्ण और संवादात्मक था। सम्मेलन के लिए लगभग 235 प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया था, जिसमें 84 प्रतिभागियों ने ऑनलाइन मोड और 147 प्रतिभागियों ने ऑफलाइन मोड चुना। उदयपुर से 148 प्रतिभागी और उदयपुर से 83 प्रतिभागी थे। प्रतिभागी 17 राज्यों से थे। 76 प्रतिभागी शोध छात्र थे, 31 प्रतिभागी छात्र के रूप में पंजीकृत थे और 71 प्रतिभागी संकाय सदस्य थे।

कार्यक्रम के विभिन्न तकनीकी सत्रों में देश एवं विदेश के ख्यातनाम विद्वानों ने अपने विचार साझा किए और उन्होंने बताया कि किस प्रकार तकनीकी परिवर्तन से होने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए आने वाले समय में विद्यार्थियों को किन विषयों पर अपना कौशल विकसित करना चाहिए

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