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फड़ चित्र कार्यशाला का समापन, परंपरागत चित्रण के गुरों के साथ कैनवास पर फड़ चित्रकारी

 फड़ चित्र कार्यशाला का समापन, परंपरागत चित्रण के गुरों के साथ कैनवास पर फड़ चित्रकारी

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से शिल्पग्राम में आयोजित फड़ चित्र कार्यशाला का समापन बुधवार को हुआ। लगभग एक सप्ताह की कार्यशाला में 30 प्रतिभागियों ने चित्तौड़गढ़ के फड़ चित्रकार मनोज जोशी तथा राजसमन्द के छीतरमल जोशी से फड़ चित्रकारी के मूलभूत तत्वों का ज्ञान लेते हुए कैनवास पर चित्रण किया।

अपनी विशिष्ट आकृतियों और रंग संयोजन के साथ-साथ दूश्य बिम्बो में गाथ सुनाने वाली इस कला शैली में प्रतिभागियों ने कैनवास पर जहां परंपरागत फीगर्स हाथी, घोड़े, वृक्ष, लताएँ आदि की रचना की वहीं कुछ कलाकारों ने अपनी शैली में श्रीकृष्ण व हाथी की रचना मनोरम ढंग से की। कार्यशाला में 8 से 80 वर्ष के कलाकारों ने अपने चित्रों का सृजन किया।

कार्यशाला के समापन अवसर पर प्रतिभागियों में चन्द्रिका परमार, चारू जोशी, मेडम फी, सोफिया जयपुरी व तनुष्का शर्मा ने कार्यशाला के अपने अनुभव साझा किये। इस अवसर पर केन्द्र निदेशक किरण सोनी गुप्ता ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति किसी वस्तु या बिम्ब को अपने नजरिये से देखता और समझता है तथा उसी को वह अपनी कल्पनाओं में देखता और समझता है जिसकी परिणति सृजन के रूप में होती है। श्रीमती गुप्ता ने इस अवसर पर प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किये।

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