चुनावों में सिंगल यूज प्लास्टिक और नोन बायोडिग्रेडेबल प्रचार सामग्री पर रहेगा प्रतिबंध
उदयपुर. चुनावों में प्लास्टिक की प्रचार सामग्री के बहुतायत उपयोग के बाद इस सामग्री से पर्यावरण को होने वाली क्षति को लेकर भारत निर्वाचन आयोग चिन्तित है। आयोग ने इस बार इको फ्रेण्डली चुनावों पर जोर देते हुए विस्तृत गाइडलाइन जारी की है।
भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार निर्वाचन विभाग राजस्थान ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों, रिटर्निंग अधिकारियों को पत्र जारी कर निर्वाचन आयोग के आदेशों की पालना के निर्देश दिए हैं।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी राजस्थान प्रवीण गुप्ता ने पत्र में कहा कि भारत निर्वाचन आयोग ने चुनावों को इको फ्रेण्डली बनाने के लिए समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी किए हैं। आयोग चुनावों में नोन बायोडिग्रेडेबल सामग्री के उपयोग के कारण होने वाले पर्यावरणीय खतरों के मुद्दे पर बहुत चिंतित है।
आयोग 1999 से सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों से चुनाव प्रचार के दौरान पोस्टर, बैनर आदि तैयार करने के लिए प्लास्टिक पॉलिथीन के उपयोग से बचने का आग्रह करता रहा है।
पत्र में बताया कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अधिसूचना जारी करते हुए प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 में संशोधन किया है। इसके तहत पॉलीस्टाइनिन और विस्तारित पॉलीस्टाइनिन सहित एकल उपयोग प्लास्टिक का निर्माण, आयात, स्टॉकिंग, वितरण, बिक्री और उपयोग 1 जुलाई 2022 से प्रतिबंधित किया गया है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने भारत निर्वाचन आयोग के हवाले से कहा कि पोस्टर, कट-आउट, होर्डिंग, बैनर, राजनीतिक विज्ञापन आदि में प्लास्टिक का उपयोग होता है। चुनाव के बाद यह सामग्री फेंक दी जाती है। इससे एकल उपयोग प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है। यह जल निकासी को अवरूद्व करता है। जानवरों के निगल जाने से उनके लिए भी खतरा बनता है।
इसलिए आयोग ने राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों से प्रचार सामग्री में गैर-बायोडिग्रेडेबल का उपयोग नहीं करने का आग्रह किया है। चुनाव आयोग ने प्रचार सामग्री में प्लास्टिक के उपयोग के बजाए वैकल्पिक सामग्री के उपयोग को बढावा देने पर जोर दिया। इसमें कंपोस्टेबल प्लास्टिक, प्राकृतिक कपड़े, पुनर्नवीनीकरण कागज सामग्री आदि शामिल हैं।