गिर्वा व बड़गांव तहसीलदार को आरोप पत्र जारी
नियम विरूद्ध स्वीकृतियां जारी करने पर होगी अनुशासनात्मक कार्यवाही
उदयपुर, 14 फरवरी। जिला कलक्टर ताराचंद मीणा ने बड़गांव के तहसीलदार सुरेंद्र विश्नोई तथा गिर्वा तहसीलदार नरेंद्र कुमार सोलंकी द्वारा नियमों की अवहेलना करने और गलत तरीके से भूमि के उपयोग करने की स्वीकृतियां जारी करने को गंभीरता से लिया है और दोनों तहसीलदारों को आरोप पत्र जारी किए हैं।
जिला कलेक्टर ने बताया कि दोनों तहसीलदारों के विरुद्ध राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील) नियम 1958 के नियम-17 के अंतर्गत अनुशासनिक जांच कार्रवाई किए जाने का निर्णय लिया गया है।
उन्होंने बताया कि बड़गांव तहसीलदार सुरेंद्र विश्नोई द्वारा अंबेरी ग्राम में खातेदारी भूमि का समतलीकरण करने हेतु प्राप्त आवेदन पर स्वीकृति जारी की गई जो कि स्वीकृति नियम 24 क से घ में राजस्थान काश्तकारी (सरकारी) नियम 1955 के तहत दी गई है तथा राजस्थान काश्तकारी अधिनियम 1955 की धारा 66 से 68 का उल्लेख किया गया है.
जिस पर जिला कलेक्टर ने बताया कि इस नियम में केवल भूमि के खुदाई की अनुमति दी जा सकती है जो धारा 36 राजस्थान काश्तकारी अधिनियम 1955 में वर्णित है तथा अन्य सभी भूमि सुधार तथा धारा 66-68 राजस्थान काश्तकारी अधिनियम 1955 के तहत वर्णित भूमि सुधार की अनुमति राजस्थान काश्तकारी राजस्व मंडल नियम 1955 के नियम 25 क से च तक वर्णित नियमों के तहत दी जा सकती है जिसमें संबंधित नगर विकास प्रन्यास एवं नगर निगम की सहमति आवश्यक होती है जो इस मामले में नहीं ली गई है और सहमति से बचने हेतु गलत नियम का हवाला दिया गया है।
इसके अलावा उक्त नियमों में भूमि को समतल या सीढीदार बनाने का प्रावधान लिखा है जिससे स्पष्ट है कि खातेदार इसकी आड़ में पहाड़ नहीं काट सकता है व पहाड़ पर केवल सीढीदार कृषि के लिए सुधार किया जा सकता है। इसी प्रकार स्वीकृति की अवधि समाप्त होने पर भी इस भूमि पर वर्तमान में भराव हेतु पत्थर व मिट्टी डाले जा रहे हैं जो कि नियमानुसार नहीं है।
इसी प्रकार गिर्वा तहसीलदार नरेंद्र सिंह सोलंकी द्वारा राजस्व ग्राम सीसारमा में भूमि पर भूमि सुधार हेतु पणा व खाद डालकर समतलीकरण करने हेतु प्राप्त आवेदन पत्र पर स्वीकृति जारी की गई थी जिस पर जिला कलेक्टर ने बताया कि नियमानुसार भूमि के खुदाई की अनुमति दी जा सकती है जिसमें संबंधित नगर विकास प्रन्यास एवं नगर निगम की सहमति आवश्यक होती है जो इस मामले में नहीं ली गई है और सहमति से बचने हेतु गलत नियम का हवाला दिया गया है।
इसी प्रकार इस जमीन का कुछ हिस्सा झील के अधिकतम भराव क्षेत्र में स्थित है जिस पर किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य अथवा अन्य अनुमत नहीं है। इस प्रकार स्वीकृति की आड़ में जानबूझकर नियमों की अवहेलना कर तालाब पेटे के भराव की अनुमति दी गई है जो कि गलत है।
जिला कलक्टर ने दोनों तहसीलदारों को ज्ञापन देकर 15 दिवस के अन्दर लिखित कथन मांगा है। तत्पश्चात् दोनों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की प्रक्रिया की जाएगी।