मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता से बन सकती है खुशहाल ज़िन्दगी – विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर विशेष
बढ़ती मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण प्रतिवर्ष 10 अक्टूबर विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।
विश्व मानसिक स्वास्थ्य संगठन जिसके पूरे विश्व में 150 देश के सदस्य हैं, सर्वप्रथम रिचर्ड हंटर की अगुवाई में 10 अक्टूबर 1992को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के रूप में प्रारंभ किया गया । तब से निरंतर प्रति वर्ष 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। कुछ देशों में मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना है। आज भी हमारे देश तथा विश्व में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को छुपाया जाता है। इस वर्ष की थीम “राइट टू मेंटल हेल्थ” है,अर्थात हमें अपने मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा रखने का अधिकार है।
मानसिक स्वास्थ्य के मामले में आज भी बहुत भ्रांतियां हैं। सबसे बड़ी बात इसे किसी सुपर नेचुरल पावर या हवा लगने के रूप में माना जाता है। ग्रामीण लोग तथा कई पढ़े लिखे लोग भी मानसिक अस्वस्थता की स्थिति में देवी देवता और झाड़ फूंक का सहारा लेते हैं । जब हालत बहुत बिगड़ जाते हैं तब मनोचिकित्सक से संपर्क करते हैं। मानसिक अस्वस्थता को छुपाने के पीछे सबसे बड़ा कारण है इसे व्यक्तित्व पर किसी कलंक के रूप में लिया जाता है। लोगों को लगता है कि यदि यह बात लोगों को पता चल गई तो सामाजिक अलगाव का सामना करना पड़ सकता है। भविष्य में शादी के रिश्तों में भी दिक्कत आएगी।
दूसरी भ्रान्ति यह है कि कई लोग यह मानते हैं कि मानसिक अस्वस्थता लाइलाज है तथा एक गंभीर समस्या है।
तीसरी भ्रान्ति यह है कि लोगों को लगता है कि एक मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति एवं मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति में बहुत बड़ा अंतर होता है। मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति को पागल की तरह मान लिया जाता है।
कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि यह जन्मजात गुणों से प्राप्त होता है।
वास्तविकता
हम सब अपने जीवन काल में कभी ना कभी मानसिक अस्वस्थता का सामना करते हैं। मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति हमारे बीच में उसी तरह रहता है जिस तरह मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति रहता है। सिर्फ किसी एक या दो लक्षण के आधार पर उसकी पहचान मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति के रूप में करते हैं। अर्थात मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति एवं मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति के बीच में कोई बड़ा अंतर नहीं है।
मानसिक अस्वस्थता पर लंबे समय तक ध्यान नहीं दिया जाय और व्यक्ति लगातार तनाव व दबाव की स्थिति में रहे तब मानसिक स्वास्थ्य और बिगड़ता चला जाता है और लक्षण बढ़ते चले जाते हैं। मानसिक अस्वस्थता का सबसे गंभीर रूप मानसिक विक्षिप्तता के रूप में देखा जाता है जब व्यक्ति वास्तविकता से बिल्कुल कट जाता है।
मानसिक समस्याओं का इलाज संभव है, यह किसी देवी देवता का प्रकोप नहीं है बल्कि निराशा, अकेलापन व असफलता से उत्पन्न तनाव इसका सबसे बड़ा कारण है।
मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति की पहचान
मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति में एक उल्लास, जीने की उमंग, काम के प्रति रुचि, उचित तनाव प्रबंधन, जीवन से संतुष्टि, समाज को योगदान, दूसरों के विचारों के प्रति सहिष्णुता, प्रसन्नचित, विनोदशील, विभिन्न कार्यों में मनो योग से जुड़े रहना, रचनात्मक तथा अपने जीवन उद्देश्यों के प्रति स्पष्टता आदि गुण पाए जाते हैं।
मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति की पहचान
मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति को निम्न लक्षणों के आधार पर पहचाना जा सकता है।
सामाजिक अलगाव, अत्यधिक संवेदनशील, आक्रामक, खुद को नुकसान पहुंचाना, उदासी, बेचैनी, खुद पर नियंत्रण की कमी, व्याकुलता, छोटी से बात पर बहुत तनाव, किसी अनावश्यक कार्य को बार-बार करना, चिंता,डर, थकान, भूख कम या बहुत अधिक लगता, नींद नहीं आना या बहुत अधिक आना, शारीरिक ऊर्जा का स्तर कम हो जाना, वास्तविकता से भागना, किसी कार्य में मन नहीं लगना, ध्यान केंद्रित नहीं होना व अकेले रहना।
उपरोक्त लक्षणों में से कुछ लक्षण भी किसी व्यक्ति में नजर आते हैं तो यह संकेत देता है कि उसके मन पर किसी तरह का दबाव है।
मानसिक अस्वस्थता कई तरह की हो सकती हैं, जिसमें अवसाद सबसे ज्यादा देखा जाता है। 99% आत्महत्या अवसाद की स्थिति में की जाती हैं। इसके अतिरिक्त द्विध्रुवी व्यक्तित्व विकार,दुश्चिंता, ऑब्सेसिव कंपल्सिव बिहेवियर, वॉशिंग मेनिया, फोबिया, मनो शारीरिक समस्याएं, मेनिक डिप्रेशन, वृद्धावस्था में पाए जाने वाला अल्जाइमर रोग, साइकोसिस हैं।
मानसिक रोगों से स्वयं व अन्य व्यक्ति को कैसे बचाएं ?
- मानसिक रोगों के उत्पत्ति का सबसे बड़ा कारण तनाव है अतः प्रारंभ से ही हमें तनाव प्रबंधन का अभ्यास करना चाहिए।
- योग व ध्यान मानसिक रोगों के बचाव में महत्वपूर्ण हैं। नृत्य व संगीत भी तनाव कम करता है वह मानसिक अस्वस्थता से बचाता है।
- कुछ समय आउटडोर खेलों में लगाएं। अपनी रुचि के कार्य के लिए प्रतिदिन कुछ समय निकलें।
- मन की पीड़ा को मन में ही दबाए रखने की बजाय किसी से साझा करें।
- प्रकृति के साथ कुछ समय बिताएं। बागवानी का शौक मन को सुकून देता है। प्रकृति मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालती है।
- मस्तिष्क पर जोर देने वाली पजल्स हल करें।
- अपनी व्यथा को कहानी, कविता या घटना के रूप में लिखकर मन को हल्का करें।
- स्वस्थ व नियमित जीवन शैली अपनाएं।
- मौन धारण करने की बजाय, संवाद बनाए रखें।
- स्वयं को घर में कैद करके नहीं रखें,थोड़ा बाहर निकलें।
किसी व्यक्ति में मानसिक अस्वस्थता के कुछ लक्षण भी नजर आएं तो इसे नजर अंदाज नहीं करें, बल्कि उस व्यक्ति के मन की व्यथा को जानने का प्रयास करें। हमारा इतना सा प्रयास उसके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने में मदद कर सकता है वहीं हमारी अवहेलना मानसिक अस्वस्थता को और गंभीर कर सकती है। किसी व्यक्ति को शांति से बैठकर सुन लेना,उस व्यक्ति के लिए बड़ी मदद हो सकती है।
हमारी थोड़े सी जागरूकता किसी की जिंदगी को खुशहाल कर सकती है। हम सब मिलकर अपने समाज से मानसिक रोगों की व्याधि को कम करने के लिए हाथ बढ़ाएं।
डॉ सुषमा तलेसरा
मनोवैज्ञानिक, उदयपुर।