देश-विदेश के हृदय रोग विशेषज्ञों की कार्डियोलॉजी समिट शुरू
युवाओं में बढ़ते हृदय रोग चिंता का विषय – डॉ. अमित खण्डेलवाल
उदयपुर। कार्डियोलॉजी में नवाचार, रोगी देखभाल और सफल परिणामों में वृद्धि विषय पर चर्चा करने के लिए देशभर के हृदय रोग विशेषज्ञ उदयपुर में इकट्ठा हुए हैं। हृदय रोगों के उपचार में अत्याधुनिक तकनीकों के उपयोग व लाभ पर दो दिवसीय सातवीं कार्डियक समिट का आयोजन हार्ट एंड रिदम सोसायटी एवं एपीआई उदयपुर, पारस हेल्थ और आईएमए उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। पहले दिन मुख्य रूप से युवाओं में बढ़ते हृदय रोग, कारण व उसके निवारण के बारे में चर्चा की गयी। समिट के दूसरे दिन रविवार को फतहसागर की पाल पर आमजन को हृदय रोगों व उपचार के प्रति जागरूक करने के लिए दिल की बात दिल से कार्यक्रम का आयोजन होगा, जिसमें जुम्बा व मोटिवेशनल सीपीआर सेशन होगा।
युवाओं में कोरोनरी आर्टरी डिजिज के बढ़ते ट्रेण्ड वैश्विक महामारी पर केस आधारित चर्चा करते हुए डॉ. अमित खण्डेलवाल ने कहा कि युवाओं में सीएडी के कारण हार्ट अटैक के मामले काफी बढ़ रहे हैं। भारत में होने वाली मृत्यु में हृदय रोग 60 प्रतिशत तक जिम्मेदार है। इसकी सबसे बड़ी वजह बिगड़ी हुई लाइफस्टाइल, स्ट्रेस, स्मोकिंग, अत्यधिक एक्सरसाइज से भी हार्ट पर दबाव बढ़ जाता है, जो हार्ट अटैक की वजह बन सकता है।
आयोजन चेयरमैन डॉ. अमित खण्डेवाल ने बताया कि सम्मेलन की शुरूआत ईसीजी से प्रश्नोत्तरी हुई जिसमें चिकित्सकां और रेजीडेंट्स ने भाग लिया। साइंटिफिक सेशन में हायपरटेन्शन इन 2024 पर अजमेर के डॉ. विवेक,डॉ. एस.के. कौशिक ने हृदय की धमनियों से जुड़ी बीमारी एक्यूट कोरोनरी सिन्ड्रोम खतरनाक साबित हो सकती है। लिपिडोलॉजी पर बोलते हुए डॉ. सुरेश विजन ने कहा किष्ये शरीर में लिपिड प्रोफाइल की स्थिति जानने और उपचार में कारगर है। कॉलेस्ट्रॉल की जांच में इसके परिणाम काफी अच्छे हैं ।
रक्त और ऑक्सीजन के अभाव वाली इस्केमिक हृदय रोग पर डॉ. अनिल धाल, डॉ. सुभाष चन्द्रा, डॉ. ऋषि सेठी ने अपने व्याख्यान रख.
डॉ. कुश भगत ने कहा कि एट्रियल फिब्रिलेशन यानि रक्त का प्रवाह सही नहीं होने के कारण हृदय में सामान्य धड़कन बिगड़ जाती है, इसकी जांच के लिए ईकेजी उपयोग में लिया जाता है। किस मरीज के लिए ये कब उपयोगी साबित हो सकती है इसका निर्धारण सफलता के लिए हार्ट फैल्योर साधारण से उन्नत में भारतीय क्लिनिकल सेटिंग्स में आरनी की भूमिका में केस आधारित चर्चा हुई जिसमें मोडरेटर डॉ. अमित रहे कार्डियोलॉजिस्ट के परिप्रेक्ष्य पर डॉ. जे.एस. मक्कर, सीटीएवीएस परिप्रेक्ष्य पर डॉ. आदिल सादिक, नेफ्रोलॉजिस्ट परप्रेक्ष्य पर डॉ. प्रशान्त राजपूत ने अपने विचार रखे।
पद्म भूषण डॉ. टी.एस. क्लेर ने महत्वपूर्ण विषय हार्ट फैल्योर की स्थिति में डिवाइस थैरेपी के प्रयोग के बारे में बताते हुए कहा कि यह अभी तक अनेकों केसेज में लाभकारी साबित हुई है। इसमें लगने वाली डिवाइस में कार्डियक डिफाइब्रिलेटर या पेसमेकर शामिल हैं, जो नियमित दिल की धड़कन को बनाए रखने में मदद करते हैं और दिल को कुछ प्रकार की समस्या या अनियमित दिल की धड़कन, जैसे कि एट्रियल फ़िब्रिलेशन के खतरनाक प्रभावों से बचाते हैं। स्ट्रक्चल हृदय बीमरियों में वाल्व में टावी के उपयोग और भविष्य पर नई दिल्ली के डॉ. सुभाष चन्द्रा संबोधित करते हुए कहा कि कहा कि आज के समय में उन रोगियों के लिए तावी तकनीक महत्वपूर्ण है जिनके हार्ट की सर्जरी संभव नहीं है या उनका ओपन-हार्ट ऑपरेशन बहुत जोखिम भरा है। इसमें पैर की नसों में एक पतला तार डालकर उसे दिल के अंदर ले जाकर कैथे लैब के एक्स-रे को देखते हुए पुराने वॉल्व में बलुन से खोलते हैं फिर उसके अंदर एक नया वाल्व स्टेंट के साथ लगा देते है। यह काफी उन्नत तकनीक है।