समाज में बढ़ते अपराध और समाधान पर हुआ ग्रुप डिस्कशन

 समाज में बढ़ते अपराध और समाधान पर हुआ ग्रुप डिस्कशन

पेसिफिक इंस्टीट्यूट आफ बिजनेस स्टडीज के बीबीए, बी.कॉम तथा बीएजेएमसी के विद्यार्थियों ने सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव तथा उसी के साथ पनप रहे साइबर क्राइम तथा हेट एनवायरनमेंट पर अपने विचार रखें।

बीबीए के तुषार शर्मा के अनुसार आज लोगों में शॉर्टकट अपना कर सफलता पाने की होड़ लगी है। वे मेहनत की जगह आसान रास्तों को अपनाकर मंजिल तक पहुंचना चाहते हैं; फिर चाहे वह रास्ता गुनाह का ही क्यों ना हो। सुजल चंडालिया ने कहा कि व्यापारी टैक्स चोरी, मिलावट, मुनाफाखोरी करता है और फिर भी उसे किसी भी प्रकार के गुनाह का बोध तक नहीं होता। इसी प्रकार प्रतियोगी परीक्षाओं में डमी कैंडीडेट्स बैठ जाते हैं, पेपर लीक हो जाते हैं कारण सिर्फ इतना ही है की प्रतिभागी येन केन प्रकारेण परीक्षा उत्तीर्ण कर नौकरी चाहते हैं।

काॅमर्स के छात्र राहुल रांका के अनुसार धर्मांधता भी एक बड़ा कारण है जिसकी वजह से सांप्रदायिकता की भावना में काफी बढ़ोतरी हो रही है। मीडिया में चल रहे बेवजह के विवादों से भी प्रभावित होकर युवाओं के मन में कटुता आ रही है और वे गुनाह की ओर बढ़ रहे हैं।

प्रथम वर्ष के भरत बैरवा के मतानुसार कुछ हद तक परवरिश भी एक बड़ा कारण है जिसमें कि सब कुछ पाने, सफलता अर्जित करने और अधिक से अधिक कमाने के लिए ही प्रयास करने की सीख बचपन से दी जा रही है। इससे बच्चों और युवाओं में यह धारणा बन जाती है कि वस्तुओं की प्राप्ति से ही सुख मिलता है और इस सुख के लिए वे कोई भी तरीका अपना लेते हैं।

देवाशीष शर्मा और सुजल पामेचा ने कहा कि नैतिकता और विवेक पूर्ण ज्ञान के अभाव में भी गुनाह बढ़ रहे हैं। कई युवा आतंकी और नक्सलवादी गतिविधियों में अज्ञानता और बहकावें के कारण जुड़ जाते हैं। राजनीतिक हास को भी गुनाह का एक बड़ा कारण बताया गया। माफिया के राजनीति में प्रवेश के कारण ड्रग्स और तस्करी जैसे क्राइम हो रहे हैं। साइबर क्राइम और भूमाफिया भी आज बढ़ रहे हैं, कोई भी क्षेत्र क्राइम से अछूता नहीं है।

समाधानों पर चर्चा करते हुए प्रो. नीलिमा बजाज ने नैतिक मूल्यों की बचपन से ही पारिवारिक स्तर पर स्थापना होने पर जोर दिया गया। यदि बचपन से ही उच्च विचारों के बीज बो दिए जाएं तो व्यक्ति शीघ्रता से प्रलोभन में नहीं आता और गुनाह के जाल में नहीं फंसता। परिवार का पूर्ण समर्थन और सहयोग भी बहुत जरूरी है जिससे व्यक्ति अकेलापन महसूस नहीं करें और गलत संगत में भी नहीं पड़े।

डाॅ. आबिद के मुताबिक यह भी बहुत जरूरी है कि सोशल मीडिया का विवेकपूर्ण तरीके से कम मात्रा में ही प्रयोग किया जाए। ऑनलाइन फाइनेंशियल क्राइम से बचने के लिए सजगता और सावधानी रखना जरूरी है तभी हैकिंग की समस्या में कमी आएगी।

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